Madhya Pradesh News: राजधानी भोपाल से मध्य प्रदेश के तीन रिटायर्ड आईपीएस अफसरों की मुसीबतें बढ़ाने वाली खबर है. शिवराज सरकार ने इनके खिलाफ एक रिटायर्ड जस्टिस को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है. सरकार के आदेश में कहा गया है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट के आधार पर 1989 बैच के रिटायर्ड एडीजी सुशोभन बनर्जी एवं संजय माने और 1991 बैच के एडीजी व्ही. मधुकुमार के खिलाफ जांच शुरू की जा रही है. माना जाता है कि ये तीनों अफसर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी रहे हैं.
दरअसल, साल 2019 से लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय एजेंसी के आयकर छापों में मिले दस्तावेजों में इन तीन वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के नाम सामने आए थे.सरकार ने इनसे इस मामले में जवाब मांगा था. अब इनके जवाब से संतुष्ट न होने पर सरकार ने सोमवार को जांच के आदेश जारी कर दिए हैं. यह जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह करेंगे. सूबे में चर्चा है कि यह पहला मौका होगा जब दबंग आईपीएस अधिकारियों की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस से कराई जा रही है.
इस मामले में सरकारी आदेश में कहा गया है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट के आधार पर 1989 बैच के एडीजी सुशोभन बनर्जी एवं संजय माने और 1991 बैच के एडीजी व्ही. मधुकुमार के खिलाफ जांच शुरू की जा रही है. जानकारी के लिए बताते चले कि इस मामले में चुनाव आयोग के पत्र के बाद ईओडब्ल्यू ने दिसंबर 2020 में एफआईआर दर्ज की थी. अब गृह विभाग ने रिटायर्ड आईपीएस अफसर व्ही. मधुकुमार, संजय माने और सुशोभन बैनर्जी के खिलाफ विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं.
यहां बताते चले कि आयकर विभाग ने अप्रैल 2019 में पूर्व सीएम कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़, सलाहकार राजेंद्र मिगलानी समेत 50 से ज्यादा ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी. इन ठिकानों से करोड़ों के लेन-देन की डायरी और कंप्यूटर फाइल जब्त की गई थी. इसमें कांग्रेस के कई विधायकों और मंत्रियों के नाम भी सामने आए थे. लोकसभा चुनाव से पहले कई लोगों को भारी-भरकम राशि ट्रांसफर करने का दस्तावेज केंद्रीय एजेंसी को मिला था. उस वक्त इस मामले को लेकर राज्य की राजनीति में जमकर हंगामा हुआ था. तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बीजेपी नेतृत्व पर बदले की कार्रवाई करने का आरोप लगाया था.
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