Booster Dose: मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस के खिलाफ बूस्टर डोज भी लगाए जा रहे हैं. बूस्टर डोज पर लोगों के मन में कई शंकाएं हैं. एबीपी न्यूज ने मामले को समझने के लिए विशेषज्ञों से बात की. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कोरोना के सवा दो सौ से ज्यादा मरीज सक्रिय हो गए हैं. राहत की बात है कि कोरोना से मौत का आंकड़ा पिछले कई दिनों से थमा हुआ है लेकिन बूस्टर डोज पर धीरे-धीरे लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है.


बूस्टर डोज पर लोगों की शंकाएं क्यों?


पहले और दूसरे डोज के बाद बूस्टर डोज इम्यूनिटी को बढ़ाता है और बीमारी को दूर रखता है. बूस्टर डोज पर आम लोगों के सवालों को समझने के लिए एबीपी न्यूज ने एक्सपर्ट से जानकारी हासिल की. कोरोना स्पेशलिस्ट डॉक्टर रोनक एलची के मुताबिक पहले और दूसरे डोज लगने के 9 माह अर्थात 270 दिन के बाद बूस्टर डोज लगाया जा सकता है. दावा है कि बूस्टर डोज कोरोना वायरस को रोकने में भी काफी कारगर साबित होगा.


उन्होंने बताया कि लोग 'कोविशिल्ड' और 'कोवैक्सीन' दोनों के ही बूस्टर डोज ले सकते हैं, लेकिन उन्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि पहला और दूसरा डोज उन्होंने किस वैक्सीन का लिया था. जिस वैक्सीन का पहला और दूसरा डोज होगा, उसी वैक्सीन का तीसरा डोज भी लिया जाना आवश्यक है. वैक्सीन को चेंज नहीं किया जा सकता है. 


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कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आया


डॉ रौनक एलची के मुताबिक अभी कुछ मामले जरूर आए हैं जिसमें पहला डोज और दूसरा डोज अलग-अलग वैक्सीन के लिए गए हैं. इन मामलों में भी कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है, लेकिन अगर बूस्टर डोज उसी वैक्सीन का लिया जाए जिस वैक्सीन के दो डोज लिए गए हैं तो काफी कारगर साबित होगा. उन्होंने बताया कि वैक्सीन परिवर्तन से कोई फायदा होने वाला नहीं है, इसलिए तीनों डोज एक ही वैक्सीन के लगाए जाना उचित रहेगा. 


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