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MPPSC 2019 की चयन प्रक्रिया को क्यों किया गया निरस्त? हाई कोर्ट ने आयोग से 4 दिन में मांगा जवाब

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जिन कैंडिडेट्स ने प्रीलिम्स के बाद मेन एग्जाम भी क्लियर करना था, वह इंटरव्यू का इंतजार कर रहे थे. लेकिन अब नियम बदलने के बाद उन्हें फिर से परीक्षा देनी होगी, जो कि गलत है.

MPPSC Exam 2019: एमपी पीएससी एग्जाम-2019 की पूरी चयन प्रक्रिया निरस्त करने के मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MP Public Service Commission) के फैसले को हाई कोर्ट (MP High Court) में चुनौती दी गई है. कोर्ट ने आयोग से पूछा है कि पीएससी परीक्षा 2019 की पूरी चयन प्रक्रिया को निरस्त क्यों किया गया? इस मामले पर अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी और तब तक आयोग को अपना जवाब दाखिल करना है. जस्टिस एमएस भट्टी की सिंगल बेंच ने इस मामले में राज्य सरकार और पीएससी को जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.

यहां बता दें कि एमपी पीएससी-2019 में 3.60 लाख उम्मीदवारों ने प्रारंभिक परीक्षा दी थी. इनमें से 10,700 लोगों ने परीक्षा पास की थी. इसके बाद, मुख्य परीक्षा में 1900 अभ्यर्थियों का चयन हुआ. कुल 571 पदों पर भर्ती के लिए साक्षात्कार फरवरी 2022 को होने थे, लेकिन अदालत में केस लंबित रहने की वजह से इंटरव्यू नहीं हो पाए.

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एग्जाम पास करने के बाद भी नहीं हो सके इंटरव्यू
जबलपुर निवासी हर्षित जैन और यजत प्यासी के साथ सागर, उमरिया, कटनी, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, पन्ना और प्रदेश के अन्य जिलों के परीक्षार्थियों ने याचिका दायर कर दलील दी है कि पीएससी के इस आदेश से हजारों उम्मीदवारों का भविष्य खतरे में पड़ गया है. उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा कि जिन अभ्यर्थियों ने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद साक्षात्कार की तैयारी की है, अब उन्हें फिर से परीक्षा देनी होगी. यह पूरी तरह से गलत है. 

वहीं, इससे पहले साल 2011, 2013 और 2015 में कोर्ट से परीक्षा की पात्रता पाए उम्मीदवारों के लिए विशेष परीक्षा आयोजित की गई थी. कोर्ट से मांग की गई है कि साल 2019 की परीक्षा के बाद पूरी चयन प्रक्रिया निरस्त करने के बजाय कुछ उम्मीदवारों के लिए विशेष परीक्षा आयोजित की जाए.

अप्रैल के पीएससी रिजल्ट निरस्त किए गए थे
जानकारी के मुताबिक, आरक्षण नियम के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है. दरअसल, ओबीसी वर्ग की ओर से हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा गया था कि आरक्षित वर्ग के उन उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी में स्थान मिलना चाहिए, जिनके मार्क्स कट-ऑफ से ज्यादा आए हैं. सरकार का यह नियम था कि ऐसे उम्मीदवारों को चयन प्रक्रिया के अंतिम चरण में शामिल किया जाएगा. याचिकाकर्ता ओबीसी संघ का कहना था कि प्रत्येक चरण यानी (प्रारंभिक, मुख्य व साक्षात्कार) में इसका लाभ मिलना चाहिए. हाई कोर्ट ने अप्रैल में पीएससी रिजल्ट को निरस्त कर उक्त उम्मीदवारों को शामिल करते हुए नए सिरे से चयन प्रक्रिया अपनाने कहा था.

वर्ष 2020 के बाद पीएससी की परीक्षा बदले हुए सिलेबस के साथ हो रही है. 2019 की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवार कई वर्षों से सिलेक्शन का इंतजार कर रहे थे. नई प्रक्रिया के तहत मुख्य परीक्षा जनवरी 2023 में प्रस्तावित है.

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