Jyotiraditya Scindia Birthday: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को भले ही विरासत में सियासत मिली हो, लेकिन उन्होंने राजनीति में अपनी सरलता और दिल जीतने की हुनरबाजी के चलते अपनी अलग ही पेठ बनाई है. जिस तरह कांग्रेस (Congress) में रहकर हाथ को मजबूत कर रहे थे, उतनी ही ताकत से बीजेपी (BJP) का दामन थामने के बाद कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक के दिलों में अपनी मजबूत जगह बना चुके है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 52 बसंत पूरे कर लिए है. उनके जन्मदिन पर एबीपी न्यूज़ की खास रिपोर्ट देखिए.


52 साल के हो गए हैं सिंधिया


केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2 सालों के भीतर भारतीय जनता पार्टी में कार्यकर्ताओं से लेकर बड़े नेताओं तक इतना मजबूत रिश्ता कायम कर लिया है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि मानो दो दशक से बीजेपी के सिपहसालार रहे हो. मध्य प्रदेश की राजनीति में महाराज के नाम से जाने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हमेशा अपनी सियासी पकड़ को मजबूत रखा है. जब कांग्रेस में थे, उस समय भी उनका रसूख और जनता के बीच पकड़ काफी गहरी और मजबूत थी. अब जब वे 20 सालों की राजनीतिक पृष्ठभूमि को त्याग कर कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हो गए तो यहां भी उनका रुतबा और दबदबा कम नहीं हुआ है. शिवराज मंत्रिमंडल (Shivraj Cabinet) में सिंधिया समर्थकों की संख्या उतनी ही है, जितनी कमलनाथ सरकार में हुआ करती थी. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बसंत पूरे कर लिए हैं. 1 जनवरी को वे 53 साल में प्रवेश कर गए हैं. 


जनाधार वाले नेता हैं सिंधिया


केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हमेशा जनता के बीच रहकर अपने सियासी कदम आगे बढ़ाए हैं. वे जनता के नेता माने जाते हैं.  उनका जनाधार हमेशा से उनकी पूंजी और ताकत रहा है. जब विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी ने भी शिवराज के सामने महाराज को प्रतिद्वंदी के रूप में पेश कर दिया था, उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक कद और भी बड़ा हो गया था. उस समय कमलनाथ के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में कांग्रेस चुनाव लड़ रही थी लेकिन बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया को सबसे मजबूत और जनाधार वाले नेता मानकर उन पर सियासी हमले करने में जुटी थी. विधानसभा चुनाव के परिणाम ने भी इस बात को बता दिया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमाल कर दिया. उनके सभी समर्थक जीत गए. ग्वालियर-चंबल संभाग में तो कांग्रेस की लहर चल गई. इसी के परिणाम स्वरूप मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई थी.


सड़क पर उतरने वाले बयान ने सिंधिया को दी पहचान


सत्ता में रहते हुए अपनी ही पार्टी के खिलाफ बयान देना कोई आसान बात नहीं होती है लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार को जनता की मांगे पूरी नहीं होने पर सड़क पर उतरने की चेतावनी देकर हिला दिया था. उन्होंने एक वक्त पर यह भी कहा था कि अगर उसूलों की लड़ाई हो तो अपनों से भी टकराना जरूरी है.  इस बयान ने भी कांग्रेस से उन्हें दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की मगर वे इस बयान के बाद जनता और भारतीय जनता पार्टी के करीब आ गए. 


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