Bhopal News: मिशन 2023 की तैयारियों में जुटे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) की जिद का असर सिंधिया समर्थक विधायकों पर होने लगा है. कमलनाथ ने मिशन 2023 की शुरुआत भी सिंधिया समर्थक विधायकों के गढ़ से ही की है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar) द्वारा जूते-चप्पल त्यागने की प्रतिज्ञा कमलनाथ की जिद का ही असर है. कांग्रेस की सरकार गिराने में अहम रोल अदा करने वाले सिंधिया समर्थकों को कांग्रेस के चीफ कमलनाथ सबक सिखाना चाहते हैं. कमलनाथ का मानना है कि इन 22 विधानसभाओं में जनता ने बीजेपी को नकारकर कांग्रेस को समर्थन दिया था.


हालांकि बाद में इन विधायकों ने जनता के साथ धोखा किया और बीजेपी का दामन थाम लिया. इन विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे विधायकों के खिलाफ आक्रोश है. कांग्रेसी नेताओं का मानना है इन विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता कांग्रेस के ही पक्ष में हैं.


सिंधिया समर्थक मंत्री ने जनता से मांगी माफी


राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस चीफ कमलनाथ की चुनौती का असर सिंधिया समर्थकों पर होने लगा है. गुरूवार को ही सिंधिया समर्थक मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमरअपने विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे और जनता से माफी मांगी. माफी मांगने के पीछे सड़क नहीं बनवा पाने की वजह बताई. अफसरों से नाराज सिंधिया समर्थक मंत्री तोमर ने जूते-चप्पल भी त्याग दिए. उन्होंने कहा कि जब तक सड़क नहीं बन जाती वे जूते-चप्पल नहीं पहनेंगे. मंत्री तोमर ने नंगे पैरे ही निर्माणाधीन सड़क का निरीक्षण किया.  तोमर द्वारा त्यागे गए जूते-चप्पल और जनता से माफी मांगने के पीछे कमलनाथ की जिद बताई जा रही है.


इन्हीं की वजह से सत्ता से बेदखल हो गई थी कांग्रेस
साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 15 साल पुरानी बीजेपी सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था. हालांकि कांग्रेस की अंदरूनी  कलह के चलते कांग्रेस की सरकार मध्य प्रदेश की सत्ता का महज डेढ़ साल ही सुख भोग सकी थी. तत्कालीन कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन 22 विधायक ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था और कांग्रेस की सरकार गिर गई थी.


अब इन विधायकों को सबक सिखाने की बारी


नतीजतन कांग्रेस फिर से विपक्ष की भूमिका में आ गई थी. अब साल 2023 में फिर विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में कांग्रेस के चीफ कमलनाथ उन 22 विधायकों को सबका सिखाना चाहते हैं. कमलनाथ की रणनीति का लक्ष्य भी इन्हीं 22 विधायकों का गढ़ है. इन विधायकों में प्रद्युम्न सिंह तोमर, रघुराज कंसाना, कमलेश जाटव, रक्षा सरोनिया, जजपाल सिंह जज्जी, इमरती देवी, डॉ. प्रभुराम चौधरी,  तुलसी सिलावट, सुरेश धाकड, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, ओपीएस भदौरिया, रणवीर जाटव, गिर्राज दंडोतिया, जसवंत जाटव, गोविंद सिंह राजपूत, हरदीप सिंह डंग, मुन्नालाल गोयल, ब्रजेन्द्र सिंह यादव, राज्यवर्धन सिंह, बिसाहूलाल सिंह, ऐदल सिंह कंसाना और मनोज चौधरी शामिल हैं.


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