Kawad Yatra in Sawan: सावन (Sawan) के महीने में भगवान शिव की आराधना का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम कावड़ यात्रा माना जाता है. कावड़ यात्रा की शुरुआत पवित्र नदियों और तीर्थ स्थलों से होती है, जबकि इसका समापन शिव मंदिरों में भगवान शिव के जलाभिषेक के साथ होता है. इन दिनों मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पण करने के लिए हजारों भक्त कावड़ यात्रा के माध्यम से शिव आराधना कर रहे हैं. ऐसी ही कावड़ यात्रा पंच अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर उत्तम स्वामी महाराज के नेतृत्व में निकाली गई.


महामंडलेश्वर ने बताया कावड़ यात्रा का महत्व


यह कावड़ यात्रा उज्जैन (Ujjain) के त्रिवेणी घाट से शुरू होकर ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर पहुंची. इस मौके पर महामंडलेश्वर उत्तम स्वामी महाराज ने बताया कि सावन के महीने में कावड़ यात्रा का विशेष महत्व है. कावड़ यात्रा में अलग-अलग स्थानों के जल से भगवान शिव का जलाभिषेक होता है. जैसे ही अलग-अलग स्थानों का जल भगवान शिव पर चढ़ता है, वैसे ही उन तमाम जगहों का उद्धार हो जाता है और वहां पर भगवान शिव की कृपा बरसती है.


इसके अलावा उत्तम स्वामी महाराज ने यह भी बताया कि कावड़ यात्रा में शामिल होने वाले भक्तों को भी पुण्य फल की प्राप्ति होती है. कावड़ यात्रा के माध्यम से जो शिव भक्त भगवान के लिए एक कदम आगे बढ़ाता है, भगवान उसके 10 रास्ते खोल देते हैं.  प्राचीन काल से ही कावड़ यात्रा काफी धार्मिक महत्व के साथ चली आ रही है. 


दो ज्योतिर्लिंगों के बीच भी कावड़ यात्रा


मध्य प्रदेश में 2 ज्योतिर्लिंग स्थित है. यहां पर ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के बीच भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु कावड़ यात्रा के माध्यम से शिव आराधना करते हैं. ओंकारेश्वर में भगवान ओमकार का नर्मदा के जल से अभिषेक कर श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के दर्शन के लिए कावड़ यात्रा के साथ निकलते हैं. इसी प्रकार उज्जैन में शिप्रा मैया का जल लेकर शिवभक्त ओंकारेश्वर तक की यात्रा भी पूर्ण करते हैं. 


कावड़ यात्रा का शास्त्रों में भी उल्लेख


महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी राम गुरु के मुताबिक कावड़ यात्रा का शास्त्रों में भी उल्लेख किया गया है. यह मान्यता है कि जब समुद्र मंथन हुआ था तब भगवान शिव ने हलाहल का पान किया था. हलाहल के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए देवताओं ने कावड़ के माध्यम से भगवान शिव पर जल अर्पित किया था, तभी से कावड़ यात्रा निकाली जा रही है. जो शिव भक्त कावड़ यात्रा के माध्यम से भगवान शिव को जल अर्पित करता है, उसे कोटि तीर्थ का फल प्राप्त होता है. 


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