Khandwa News:  मध्य प्रदेश के खंडवा (Khandwa) में आठ वर्ष पुराने दंगे के एक मामले में खंडवा कोर्ट (Khandwa court) ने 40 आरोपियों को दंगे का दोषी मानते हुए उन्हें  सात-सात साल की सजा सुनाई जबकि दो आरोपियों को बरी कर दिया. इस मामले के चार आरोपी नाबालिग थे जिन्हें इस मामले से अलग रखा गया जबकि एक आरोपी की मौत हो गई थी. 


आपत्तिजनक पोस्ट के बाद हुआ था दंगा
खंडवा में 30 जुलाई 2014 को सोशल मीडिया ऐप फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट से फैले तनाव के बाद रात में कुछ स्थानों पर तोड़फोड़ की गई थी. पुलिस ने हुड़दंगियों को रोकने के लिए लाठियां भांजीं और आंसू गैस छोड़ी थी. तब तत्कालीन कलेक्टर शिल्पा गुप्ता ने तनाव को देखते हुए शहर के सभी स्कूल व कॉलेज को बंद रखने के आदेश जारी किए थे. 


एक शख्स की हो गई थी मौत
इस दौरान माता चौक नर्मदापुरम कॉलोनी निवासी सुशील कुमार पुंडगे को गंभीर अवस्था में अस्पताल लाया गया था जिसकी बाद में मौत हो गई थी. युवक एक इंश्योरेंस कंपनी में कार्यरत था. बताया जाता है कि उस पर चाकू से हमला किया गया था. कुछ स्थानों पर पथराव के बाद ट्रैफिक पुलिस जवान रामदास सेनानी और अहमदपुर खैगांव के ग्रामीण जगदीश पाल के साथ भी मारपीट हुई थी. घटना के बाद शहर में तनाव बढ़ गया था. शहर के कुछ अन्य स्थानों पर मारपीट और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं थीं. रात 10 बजे तक बाजार पूरी तरह बंद हो गए थे. 


पूरे खंडवा में लागू की गई थी धारा 144
पुलिस डायरी के अनुसार थाना मोघट क्षेत्र के इमलीपुरा में मृतक सुनील कुमार की हत्या के उपरांत खंडवा शहर में साम्प्रदायिक तनाव होने व जगह-जगह पथराव की घटना होने से जिलाधीश खंडवा द्वारा शांति व्यवस्था बनाये रखने हेतु धारा 144 लगायी गयी थी. आमजन की सुरक्षा एवं स्थिती नियंत्रण करने हेतु जिलाधीश द्वारा शहर खंडवा में कर्फ्यू घोषित किया गया था. 


कर्फ्यू के दौरान बांग्लादेश कालोनी में कुछ लोग घरों से बाहर घूम रहे थे जिन्हें समझाने पर भी कुछ शरारती लोग लाठी, डंडे लेकर निकले और पुलिस पर निशाना लगाकर पथराव शुरू कर दिया. इसी समय थाने से टीआई अनिल शर्मा अपनी टीम के साथ वहां आए जिन्हें देखकर शरारती तत्व उन पर पथराव करने लगे. उपद्रवीयों में से एक बांग्लादेशी निवासी फारूक ने टीआई अनिल शर्मा को जान से मारने की नियत से एक बड़ा पत्थर फेंक कर मारा जो उनको हेलमेट पर लगा जिससे हेलमेट टूट गया. इसके बाद फारूख पत्थर मारकर भाग गया.   इस दंगे में कई ट्रैफिक वाहनों को भी क्षति पहुंची थी जिसके बाद आवश्यक बल प्रयोग कर घेराबंदी कर 40 से अधिक व्यक्तियों को पकड़ा गया था. 


आरोपी पक्ष के वकील मुकेश नागोरी ने कहा कि एक हत्याकांड के बाद शहर में कर्फ्यू लगाया गया था. उसी मामले में थाना सिटी कोतवाली के अंतर्गत एक और मामला सामने आया था जिसमें पुलिस बल पर हमला करने की बात कही गई थी. दंगों को लेकर 47 लोगों के खिलाफ मामला पंजीबद्ध किया गया था जिसमें कुछ बाल न्यायालय के आरोपित हैं जिनका मामला अलग हो गया था और न्यायालय में 42 आरोपियों के खिलाफ मामला पंजीबद्ध हुआ था  जिसमें से आज न्यायालय द्वारा धारा 307 147, 148, 353, 330 और अन्य धाराओं में 7 साल की सजा सुनाई गई है और जुर्माना भी हुआ है. आरोपी पक्ष के वकील ने कहा कि फैसले से सभी असंतुष्ट हैं और उच्च न्यायालय में अपील करेंगे. 


इन आरोपियों को हुई है सजा
कलीम, जुनेद, हाफीज, मो. उमर, मो. रज्जाक, इरफान, जावेद, शब्बीर, जहूर, शब्बीर, सलाउद्दीन, मो. अली, मजीद खान, सलामउद्दीन, शाहरुख, फिरोज, शेख सलीम, आरिफ, शेख युसूफ, ईसाक, सरवर, शेख जाकीर, शाकीर, अब्दुल रहीम, मोहम्मद एजाज, मोहम्मद इरसाद, वसीम, कलीम, शेख जाकीर, इस्माईल, शाबीर, शाकीर, अजीज, मोहम्मद ईशाक, मुबारिक, इस्ताक, रहीश, अशरफ, मोनू उर्फ सलमान, मोहम्मद अजहर.


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