MP Khelo India khelo: खेलो इंडिया खेलो के खोखो गेम में बजट को लेकर खिलाड़ियों का करियर दांव पर लगा है. चयन प्रकिया में भी किसी तरह की गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है. चयन प्रक्रिया में भेदभाव के लगाए जा रहे हैं. दरअसल मध्य प्रदेश को इस बार खेलो इंडिया खेलो की मेजबानी मिली है. इसी को लेकर पूरे प्रदेश में तैयारी भी जोरों पर है. खेलो इंडिया के खिलाड़ियों के चयन की प्रकिया भी शुरू हो गई है. चयन प्रकिया में अर्जुन अवार्डी सहित गाइड लाइन में शामिल लोंगो को शामिल भी किया गया है. वहीं खिलाड़ियों के चयन को लेकर अब कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं. जिससे मध्य प्रदेश के खिलाड़ियों का करियर दांव पर लगता हुआ दिख रहा है.
इंदौर में हैप्पी वांडर्स मैदान पर चल रही दो दिवसीय चयन प्रक्रिया के लिए जबलपुर से आए खोखो संघ के सचिव संजय यादव के अनुसार खोखो में हर जिले के तीन-तीन अच्छे खिलाड़ियों को लाया गया है. उन्होंने कहा हम लोग के पास सिर्फ 60 खिलाड़ियों का ही बजट है. बाकी अपने खर्चे से आ सकते हैं. अभी तक करीब 60 लड़के और 60 लड़कियां आई है, जिसमें केवल 15 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा.
दरअसल जनवरी में होने वाले खेलो इंडिया खेलो के लिए इंदौर में खोखो, कबड्डी, टेबल टेनिस सहित अलग-अलग गेम के लिए खिलाड़ियों का चयन किया जा रहा है. वहीं मध्य प्रदेश की टीम के लिए जिले से दो या तीन खिलाड़ी को बुलाया जा रहा है, लेकिन जबलपुर के छह से ज्यादा खिलाफ चयन के लिए बुलाए गए हैं. जिससे छोटे जिले और अन्य जिलों के खिलाड़ियों के साथ भेदभाव साफ तौर पर देखा जा रहा है.
बजट की कमी को बताया वजह
इसे लेकर खोखो संघ के सचिव द्वारा बजट की कमी को बताया जा रहा है. खिलाड़ियों के भविष्य को दांव पर लगाया जा रहा है. गौरतलब है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह एक ओर तो खेलो इंडिया का नारा देते हैं. ऐसे में बजट की कमी का हवाला देकर काबिल खिलाड़ियों को नजर अंदाज कर रहे हैं.
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