Sundari Tigress: भोपाल के वन विहार में विशेष निगरानी में 'सुंदरी' बाघिन, पर्यटक कब कर सकेंगे दीदार?
मध्य प्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क से भोपाल के वन विहार लाई गई बाघिन 'सुंदरी' फिलहाल डीप ऑब्जर्वेशन में है. 21 दिन बाद उसे थोड़े बड़े इनक्लोजर में रखने की योजना है.
Sundari Tiger News: मध्य प्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क से भोपाल के वन विहार लाई गई बाघिन 'सुंदरी' फिलहाल डीप ऑब्जर्वेशन में है. 21 दिन बाद उसे थोड़े बड़े इनक्लोजर में रखने की योजना है. फिलहाल उसके व्यवहार पर नजर रखी जा रही है. वन अधिकारी उसके बर्ताव से साफ खुश हैं और माना जा रहा है कि उसे पर्यटकों के दीदार के लिए निकट भविष्य में छोड़ा जा सकता है.
माहौल में एडजस्ट करने में दिक्कत आ रही थी
भोपाल वन विहार के डिप्टी डायरेक्टर ए के जैन ने बताया कि शुरुआत में 'सुंदरी' को वन विहार के माहौल में एडजस्ट करने में दिक्कत आ रही थी लेकिन अब वह सामान्य हो गई है. 21 दिन के क्वॉरन्टीन और आइसोलेशन के बाद उसे बड़े बाड़े में रखा जाएगा. फिलहाल उसे मिनिमम ह्यूमन इंटरेक्शन पर रखा गया है. फिलहाल उसके पास केवल जू कीपर और वेटनरी डॉक्टर ही जा रहे हैं. वह बहुत तेजी से वन विहार के मौहाल को एडॉप्ट कर रही है. 'सुंदरी' पर निगरानी रखी जा रही है उसके एक-एक मूवमेंट को नोट किया जा रहा है. अगर उसका बर्ताव अच्छा रहा तो आगे चल कर सेंट्रल जू अथॉरिटी की अनुमति से उसे पर्यटकों के दीदार के लिए खुले बाड़े में लाया जा सकेगा.
भोपाल वन विहार के वेटनरी ऑफिसर डॉ अतुल गुप्ता के मुताबिक जब कोई नया टाइगर वन विहार में आता है तो उसे डीप ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है. इसकी अवधि 21 दिनों की होती हैं. कुछ दिन तो वन्य जीव को तनाव कम करने में ही लग जाते हैं. 'सुंदरी' भी शुरू के दो-चार दिन तनाव में थी इसलिए उसे खाना देने में भी विशेष सावधानी बरती जा रही थी. हालांकि अब वह सामान्य हो गई है.
सुंदरी को वन विहार शिफ्ट किया गया
सामान्यत: बाघ के लिए एक वर्गफीट की जगह में रहने की व्यवस्था होती है लेकिन जो नए जीव आते है, उन्हें आठ बाई आठ के बाड़े में रखा जाता है. इसकी वजह यह है कि जानवर ज्यादा स्वतंत्र महसूस कर भाग दौड़ ना करें. इससे पहले कान्हा टाइगर रिजर्व के एनक्लोजर एरिया से बाघिन 'सुंदरी' को रेस्क्यू राजधानी के वन विहार लाया गया था. बुधवार 13 जुलाई की देर रात उसे वन विहार में शिफ्ट किया गया था. यहां उसे अलग हाउसिंग में रखा गया, जहां उसके आसपास दूसरे बाघों के बाड़े नहीं हैं. सुंदरी को यहां विशेष वाहन में सड़क मार्ग से लाया गया था.
ओडिशा के सतकोसिया टाइगर रिजर्व में बाघ स्थापना कार्यक्रम में वर्ष 2018 में बांधवगढ़ से बाघिन 'सुंदरी' को भेजा गया था. कुछ अवांछित घटनाओं के बाद बाघिन को क्षेत्रीय नागरिकों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से सतकोसिया टाइगर रिजर्व में दो वर्ष तक बाड़े में रखा गया था. बाद में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा बाघ स्थापना कार्यक्रम की समीक्षा के उपरांत कार्यक्रम को स्थगित करते हुए स्थानांतरित बाघिन को मध्य प्रदेश वापस करने के निर्देश दिए गए थे. जिसके बाद उसे कान्हा नेशनल पार्क लाया गया था.
हाईकोर्ट ने भोपाल स्थानांतरित करने के आदेश दिये थे
इस संबंध में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका भी प्रस्तुत हुई थी. हाईकोर्ट ने बाघिन को कान्हा टाइगर रिजर्व मंडला में वन्य-जीवन में पुन: प्रशिक्षित करने के लिए निर्देशित किया था. इसके बाद बाघिन को 24 मार्च 2021 को सतकोसिया से लाकर कान्हा टाइगर रिजर्व के मुक्की परिक्षेत्र के घोरेला बाघ बाड़ा में रखा गया था. बाघिन सुंदरी के द्वारा शिकार करने की प्रवृति अंगीकार की गयी. उसका मनुष्यों के समीप जाने का व्यवहार परिवर्तित ना होने से उसे मुक्त वन क्षेत्र में छोड़ा जाना सुरक्षित नहीं था. इसके बाद मुख्य वन्य-जीव अभिरक्षक द्वारा इसे वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल स्थानांतरित करने के आदेश दिये गये थे.