देवास से इंदौर लाए गए तेंदुए की हालत ठीक नहीं है. जू़ प्रभारी डॉक्टर उत्तम यादव ने तेंदुए के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी है. उन्होने कहा है कि तेंदुए की जान अभी भी खतरे के बाहर नही है. तेंदुआ अपनी याददाश्त खो चुका है. बताया जा रहा है कि तेंदुए के शरीर में किसी वजह से इन्फेक्शन या पॉइजन फैल चुका है जो इस व्यवहार का कारण बना है. आज जबलपुर से वाइल्ड लाइफ की टीम आकर तेंदुए के शरीर से सैंपल लेकर जाएगी वही रिपोर्ट आने के बाद ही कहा जा सकेगा कि उसे आखिर हुआ क्या है.
देवास जिले के इकलेरा गांव में कालीसिंध नदी के किनारे झाड़ियों में ग्रामीणों ने एक तेंदुआ को देखा और बाद में धीरे-धीरे वहां भीड़ लग गई. किसी पर हमला नहीं करने के कारण धीरे-धीरे लोग उसके साथ सेल्फी लेने लगे और इधर-उधर घूमने लगे. सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम पहुंची और लोगों को दूर करके तेंदुआ पर नजर रखना शुरू की है. वन मंडल अधिकारी के अनुसार तेंदुआ की हालत गंभीर है. उसका इलाज इंदौर जू में चल रहा है.
अपने आप में अजीब है केस
इधर इंदौर में पत्रकारों से चर्चा में इंदौर वन्य प्राणी संग्रहालय के प्रभारी चिकित्सक उत्तम यादव ने बताया कि तेंदुए को देवास के पास से यहां कल लाया गया था जिसका उपचार किया जा रहा है. प्रारंभिक तौर पर तेंदुए में न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर दिखाई दे रहे हैं. इसका उपचार कल सुबह ग्यारह बजे शुरू किया गया था. उन्होनें बताया कि कैट प्रजाति के जानवरों का अमूमन व्यवहार हमलावर और इंसानों से दूर रहने का होता है.
इनका सामान्य स्वभाव हमला करने और गुर्रराने का होता है जो इस तेंदुए मे दिखाई नही दिया. लोग इस तेंदुए से गाय के बछड़े की तरह व्यवहार कर रहे थे. डॉ. उत्तम यादव ने कहा कि वह न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर से अपनी बायॉलॉजिकल पहचान भूल चुका है. उसे याद ही नही है कि वह कौन है. यहां तक कि जब उसे लाया गया तो पता चला कि उसे मिर्गी की बीमारी है और उसके शरीर का तापमान भी बढ़ा हुआ था.
बताया जा रहा है कि तेंदुआ लम्बे समय भूखा था और उसे पूरे शरीर में दर्द भी बहुत है. इस तेंदुए की उम्र दस साल बताई जा रही है. इंदौर वन्यप्राणी संग्रहालय में उपचार के दौरान उसके शरीर का तापमान कम करने के लिए दवाएं दी गईं हैं. वही उसे अब मिर्गी भी कम आ रही है. लेकिन अभी भी तेंदुए की जिंदगी खतरे से बाहर नही है. आज जो टीम जबलपुर से आ रही है वह इस तेंदुए के खून और अन्य सैंपल लेगी और उसकी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही तय हो सकेगा कि इसे क्या बीमारी है और उसका उपचार क्या हैं.