Kuno National Park Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के कूनों अभयारण्य (Kuno National Park) में दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से कुछ समय पहले चीतों को लाया भारत लगा गया था. वहीं अब मध्य प्रदेश के वन अधिकारी चीतों के स्थानांतरण को लेकर बड़े चिंतित नजर आ रहे हैं. बीते दिन कुछ दिनों में चीतों की मौत के चलते मध्य प्रदेश के पदाधिकारी क्षेत्रफल के हिसाब से चीतो का स्थानांतरण दूसरे अभ्यारण में करना चाहते हैं, लेकिन केंद्रीय अधिकारियों के साथ सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाने के कारण समस्या खड़ी हो जा रही है.
दरअसल, वन मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सहमति के बिना कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकता है. इसलिए प्रदेश के अधिकारी चिंता में हैं कि जब तक उनके निर्णय पर केंद्रीय अधिकारी मोहर नहीं लगाते तब तक कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकेगा. जिसके चलते मध्य प्रदेश के वन अधिकारी और कूनों से जुड़ा स्टाफ चिंतित नजर आ रहा है. मध्य प्रदेश के वन्य प्राणी अभिरक्षक जे एस चौहान ने NTCA सचिव को पत्र लिखकर अपनी समस्याओं से अवगत भी कराया है. बता दें कि, मध्य प्रदेश के अधिकारियों ने मांग की है कि क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से जगह कम होने के कारणों से चीतों को बाहर अन्य अभ्यारणों में शिफ्ट किया जाए.
चीतों की मौत पर खड़े हो चुके हैं सवाल
अगर किसी भी प्रकार की बीमारी फैलती है तो चीतों के जीवन पर बड़ा संकट आ सकता है. उनके स्वास्थ्य और पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने के लिए चीतों को बाहर भेजना जरूरी हो गया है, लेकिन अभी तक केंद्रीय अधिकारियों के द्वारा इस विषय पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है. दरअसल, पहले भी दो चीतों की मौत पर सवाल खड़े हो चुके हैं. वहीं मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस से जब एबीपी न्यूज ने सवाल किया तो वो ज्यादा कुछ बोलने से बचते नजर आए और इतना कहा कि हम गांधी सागर और नौरादेही अभ्यारण में चीतों को पहुंचाने की तैयारी अपनी ओर से कर रहे है.
क्या कहा वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट?
वहीं वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट बताते हैं कि चीतों को शिफ्ट करने के अलग नियम होते हैं, जो किसी भी स्थान पर शिफ्ट करने से पहले तय किये जाते हैं. चीतों को कुछ माह पहले एकांत किया जाता है, जिस प्रकार से नमीबिया और दक्षिण अफ्रीका से भारत लाने के पहले वहां पर चीतों को क्वारेंटीन किया गया था. इसीलिए मध्य प्रदेश के अंदर भी किसी अन्य स्थान पर जब चीतों को ट्रांसफर किया जाएगा तो उसके पहले उनकी व्यवस्था और उनके स्वास्थ्य की देखभाल की जाएगी. यदि समय पर निर्णय नहीं होते हैं और समस्या बढ़ सकती है.