Guna Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुना (GUNA) सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. कांग्रेस ने गुना सीट से राव यादवेंद्र सिंह को टिकट दिया है, जो सिंधिया के सामने चुनाव लड़ेंगे.
आइए जानते हैं इस खबर में की आखिर ऐसी क्या वजह है कि सिंधिया के खिलाफ पार्टी ने वीरेंद्र रघुवंशी को छोड़कर राव यादवेंद्र सिंह को टिकट दिया. क्या राव यादवेंद्र सिंह यह सीट जीतकर कांग्रेस को तोहफा दे सकेंगे?
दरअसल, राव यादवेंद्र सिंह को टिकट देने के पीछे कांग्रेस की मंशा मतदाताओं को एक बड़ा संदेश देने की है.
कांग्रेस का महत्पूर्ण संदेश यह कि बीजेपी फिलहाल पूरे देश में सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोट मांग रही है, लेकिन कांग्रेस के पास संगठन और जमीनी स्तर पर मजबूत नेता मौजूद हैं. राव यादवेंद्र के शैक्षणिक योग्यता की बात करें, तो ग्रेजुएट हैं और अपने समय के कद्दावर नेताओं में शुमार देशराज सिंह यादव के सुपुत्र हैं.
मां और भाई बीजेपी में हुए शामिल
राव यादवेंद्र सिंह फिलहाल जिला पंचायत सदस्य हैं. उनके परिवार में उनके अलावा उनकी पत्नी और भाई भी जिला पंचायत के सदस्य हैं और जमीनी स्तर पर सक्रिय हैं. हालांकि दलबदल का साया इस परिवार पर भी पड़ा था. जब बीते विधानसभा चुनावों में राव यादवेंद्र सिंह ने अपने भाई अजय सिंह यादव और मां बाईसाब यादव के साथ भारतीय जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था.
कुछ समय पहले ही राव यादवेंद्र सिंह को छोड़कर उनकी फैमिली के दूसरे सदस्य यानी उनकी मां और भाई कांग्रेस को छोड़कर दोबारा बीजेपी में शामिल हो गए. दूसरी तरफ राव यादवेंद्र कांग्रेस में डटे हुए हैं और उन्हें पार्टी गुना सीट से प्रत्याशी बनाया.
अजय यादव फिलहाल अशोकनगर जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. राव यादवेंद्र सिंह ने साल 2023 में कांग्रेस के टिकट पर मुंगावली विधानसभा से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
2 लाख वोट साधने की कवायद
गुना सीट से कांग्रेस प्रत्याशी राव यादवेंद्र सिंह महज 38 साल के हैं. यादवेंद्र सिंह को टिकट देने की एक बड़ी वजह यह भी है कि कांग्रेस मौजूदा यादव समाज के करीब दो लाख वोटरों को साधन की कवायद में है.
इस सीट पर जीत का फैक्टर यादव समाज है. ऐसे में यादवेंद्र सिंह कांग्रेस के लिए उम्मीद की किरण हो सकते हैं.
हमें ये भी याद रखना होगा कि कांग्रेस इस क्षेत्र में आदिवासियों को अपना परम्परागत वोटर कहती आई है. जिसका बीते विधानसभा चुनावों के नतीजों में भी प्रभाव देखने को मिला था. दरअसल, वोटों के गणित में करीब ढाई लाख वोटर आदिवासी समाज से भी हैं. ऐसे में यादवों और आदिवासियों के बूते कांग्रेस जीत का ताज पहनना चाहती है.
ये था पिछले चुनावों का नतीजा
बीते चुनावों की बात करें तो गुना संसदीय सीट पर बीजेपी के केपी यादव को 6.14 लाख वोट मिले थे, वहीं सिंधिया को महज 4.88 लाख वोट से संतोष करना पड़ा था.
इस तरह केपी यादव ने सिंधिया को तकरीबन पौने दो लाख वोट से पटखनी दी थी. गुना सीट पर इस बार कांग्रेस वीरेंद्र रघुवंशी को टिकट देना चाहती थी, लेकिन उनके मना करने के बाद ये टिकट राव यादवेंद्र के खाते में गया.
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