MP Lok Sabha Chunav 2024: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता स्वर्गीय अर्जुन सिंह देश की समकालीन राजनीति का बड़ा नाम थे. मध्य प्रदेश से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले धुरंधर नेता अर्जुन सिंह ने दिल्ली में भी अपनी धाक जमा ली थी. अपने लंबे राजनैतिक करियर के दौरान वह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री सहित केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. 'किस्सा ए सियासत' सीरीज में आज हम आपको राजनीति के चाणक्य कहे जाने अर्जुन सिंह की उस चुनावी हार के बारे में बताएंगे, जिसने ने केवल उन्हें बल्कि देश के राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया था.
आतंकवादी हमले में राजीव गांधी की मौत के बाद 1991 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की. इस दौरान शरद पवार के साथ अर्जुन सिंह भी प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे लेकिन बाजी सक्रिय राजनीति से लगभग रिटायर हो चुके पीवी नरसिम्हा राव के हाथ लगी. कालांतर में नरसिम्हा राव के साथ मतभेद के चलते कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन सिंह ने अपनी एक नई पार्टी बना ली. उन्होंने कांग्रेस से असंतुष्ट नारायण दत्त तिवारी को अपनी पार्टी का मुखिया बनाया.
अभी तक कोई चुनाव ना हारने वाले अर्जुन सिंह ने 1996 में अपनी पार्टी तिवारी कांग्रेस (All India Congress Tiwari) से मध्यप्रदेश की सतना लोकसभा सीट से पर्चा दाखिल किया. चूंकि, वे 1991 में इसी सीट से लोकसभा चुनाव जीत चुके थे, इसलिए उन्हें इस बार भी जीत सुनिश्चित लग रही थी.
1996 में 2 पूर्व मुख्यमंत्री आमने-सामने हुए
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार काशीनाथ शर्मा कहते हैं कि सतना लोकसभा सीट का यह चुनाव इतिहास में दर्ज हुआ. 1996 में यहां से मध्यप्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव मैदान में थे. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह अपनी पार्टी से लड़ रहे थे तो बीजेपी ने अपने पूर्व मुख्यमंत्री वीरेन्द्र कुमार सकलेचा को चुनाव मैदान में उतारा था. दोनों एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में थे. कांशीराम के बहुजन आंदोलन के चलते इस वक्त विंध्य क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा भी अपना वर्चस्व बढ़ाती जा रही थी. यहां से बसपा ने सुखलाल कुशवाहा को मैदान में उतार दिया था.
त्रिकोणीय मुकाबले अर्जुन सिंह की हुई थी हार
जातीय समीकरण और त्रिकोणीय मुकाबले के कारण जब सतना लोकसभा सीट का परिणाम आया तो मध्यप्रदेश की सियासत में भूचाल मच गया. दोनों पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव हार गए. जीत बसपा उम्मीदवार सुखलाल कुशवाहा के खाते में आई. इस चुनाव में BJP के वीरेन्द्र सकलेचा दूसरे नंबर पर थे तो अर्जुन सिंह तीसरे नंबर पर थे. यह अर्जुन सिंह के लंबे राजनीतिक कैरियर की यह दूसरी हार थी.
हालांकि, इसके बाद अर्जुन सिंह की पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया और 1998 का लोकसभा चुनाव उन्होंने मध्यप्रदेश की होशंगाबाद सीट से लड़ा. यहां भी अर्जुन सिंह का दुर्भाग्य साथ रहा और वह बीजेपी के नए नवेले उम्मीदवार सरताज सिंह से चुनाव हार गए.
1963 में बने मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री
यहां बता दे कि अर्जुन सिंह का जन्म 5 नवंबर 1930 को मध्यप्रदेश के सीधी जिले के चुरहट कस्बे में हुआ था. उनके पिता राव शिव बहादुरसिंह खुद भी एक राजनीतिज्ञ थे. 1957 में अर्जुन सिंह पहली बार कांग्रेस के टिकट पर मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा और निर्वाचित हुए थे. 1963 में वह द्वारका प्रसाद मिश्रा की सरकार में मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री रहे. सरकार के इसी कार्यकाल में वह जनसंपर्क विभाग में भी मंत्री बना दिए गए.
1967 में बनाया गया योजना और विकास मंत्री
1967 में उन्होंने एक बार फिर सरकार बनने पर उन्हें योजना और विकास मंत्री बनाया गया. इस दौरान मध्यप्रदेश में कांग्रेस की साख बढ़ती गई और साथ ही अर्जुन सिंह को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी जाने लगीं. 1972 से 1977 के बीच उन्होंने मध्यप्रदेश के शिक्षामंत्री के तौर पर काम किया. 1977 में जब राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, तब अर्जुन सिंह को कांग्रेस आला कमान ने राज्य में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी. 1980 में फिर चुनाव हुए और कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई.
8 जून 1980 को ली एमपी के 17वें सीएम की शपथ
8 जून 1980 को अर्जुन सिंह ने मध्यप्रदेश के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. उनकी सरकार ने सफलतापूर्वक अपना कार्यकाल पूरा किया और 1985 के विधानसभा चुनाव में राज्य की जनता ने एक बार फिर कांग्रेस को जनादेश दिया, लेकिन इस बार अर्जुन सिंह पूरे कार्यकाल के बजाय एक दिन ही मुख्यमंत्री रहे. इसी दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी में उन्हें उग्रवाद की आग में झुलस रहे पंजाब का राज्यपाल बना दिया गया.
अर्जुन सिंह का राजनीतिक कैरियर
• 1957- मझोली ( कांग्रेस ) से जीते
• 1962 - मझोली ( कांग्रेस) से जीते
• 1967 - चुरहट (कांग्रेस) से हारे
• 1967 - उमरिया ( आईएनसी) से उपचुनाव जीते
• 1972- सीधी (कांग्रेस ) से जीते
• 1977 - चुरहट (कांग्रेस ) से जीते
• 1980 - चुरहट (कांग्रेस ) से जीते
• 1985 - चुरहट (कांग्रेस ) से जीते
• 1985 - दक्षिण दिल्ली ( आईएनसी ) से लोकसभा उपचुनाव जीते
• 1988 - खरसिया ( कांग्रेस) से मध्य प्रदेश विधान सभा उपचुनाव जीते
• 1990 - चुरहट (कांग्रेस ) से जीते
• 1991 - सतना (कांग्रेस) से जीते
• 1996 - सतना (AIICT ) से हारे
• 1998 - होशंगाबाद ( कांग्रेस ) से हारे
• 2000 - मध्य प्रदेश (आईएनसी) से राज्यसभा का चुनाव जीता
• 2006 - मध्य प्रदेश (आईएनसी) से राज्यसभा का चुनाव जीता
यह भी पढ़ें: Madhya Pradesh News: कांग्रेस नेता कमलनाथ के छिंदवाड़ा स्थित घर पर पहुंची पुलिस, इस मामले में पूर्व CM से होगी पूछताछ