MP के जिस जिले में आने के बाद चली गई 8 सीएम की कुर्सी, वहां पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ
Lok Sabha Elections: मध्य प्रदेश के अशोकनगर से एक मिथक जुड़ा हुआ है कि जो भी सीएम यहां आता है, फिर वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ पाता है. इस मिथक के चलते अब तक आठ सीएम अपनी कुर्सी खो चुके हैं.
MP Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ किसी भी मिथक से नहीं डरते हैं. यही कारण है कि सीएम योगी आदित्यनाथ आज शनिवार (4 मई) को एक बार फिर मध्य प्रदेश के अशोकनगर में जनसभा को संबोधित करने आ रहे हैं. इससे पहले साढ़े पांच महीने पहले भी सीएम योगी आदित्यनाथ अशोकनगर आए थे और जनसभा को संबोधित किया था. योगी आदित्यनाथ अशोकनगर के सुभाषगंज में जनसभा को संबोधित करेंगे.
मध्य प्रदेश के अशोकनगर से एक मिथक जुड़ा हुआ है कि जो भी सीएम यहां आता है, फिर वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ पाता है. इस मिथक के चलते अब तक आठ सीएम अपनी कुर्सी खो चुके हैं. यही वजह रही कि तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के सीएम रहते हुए अशोकनगर नहीं आए. इसी तरह वर्तमान सीएम डॉ. मोहन यादव भी संसदीय चुनाव में पूरे प्रदेश का दौरा कर जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं, लेकिन वो भी अब तक अशोकनगर नहीं आए हैं.
साढ़े पांच महीने में दूसरा दौरा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऐसे किसी मिथक को नहीं मानते हैं. यही वजह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ साढ़े पांच माह में दूसरी बार अशोकनगर आ रहे हैं. अशोकनगर के सुभाषगंज में योगी आदित्यनाथ की सभा का आयोजन किया गया है. हालांकि, उनके कुछ समर्थकों ने यहां जनसभा आयोजित करने पर ऐतराज जताया था. उनका कहना है कि जब यहां प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं आते, तो यूपी के सीएम को बुलाकर उनकी कुर्सी क्यों खतरे में डाली जा रही है.
अब तक इन मुख्यमंत्रियों की गई कुर्सी
राजनीति में रूचि रखने वाले अशोकनगर के बुजुर्गों के अनुसार साल 1975 में तत्कालीन सीएम प्रकाश चंद सेठी कांग्रेस के राज्य अधिवेशन में शामिल होने आए थे, जो बाद सीएम पद से हट गए थे. 1977 में सीएम श्यामाचरण शुक्ल तुलसी सरोवर का लोकार्पण करने आए थे. इसके बाद वीरेन्द्र सखलेवा, कैलाश जोशी आए. वहीं 1983 में सीएम अर्जुन सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राजीव गांधी के साथ आए थे.
1986 में सीएम मोतीलाल बोरा रेलवे स्टेशन पर ओवरब्रिज का भूमिपूजन करने आए. साल 1992 में सीएम सुंदरलाल पटवा और 2003 में सीएम दिग्विजय सिंह यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए थे. कहा जाता है कि यहां से जाने के कुछ समय बाद ही ये सभी मुख्यमंत्रियों ने अपनी कुर्सी खो दी थी. इसलिए पिछले 20 सालों में प्रदेश के सीएम अशोकनगर नहीं आए.