MP Lok Sabha Election Result 2024: मतगणना के साथ ही मध्य प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव का संग्राम खत्म हो गया है. प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर बीजेपी का कमल खिल गया है.


खास बात यह है कि लोकसभा के इस रण में इस बार मध्य प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री चुनावी मैदान में उतरे थे. इनमें एक पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जीत मिली, जबकि दूसरे पूर्व सीएम यानी दिग्विजय सिंह हार का सामना करना पड़ा है.


इन सीटों से किस्मत आजमा रहे थे दोनों पूर्व सीएम
बता दें, मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी ने विदिशा संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया था, तो कांग्रेस ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को राजगढ़ संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया था. खास बात यह है कि यह दोनों ही लोकसभा सीटें दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्रियों का गढ़ मानी जाती हैं. 


राजगढ़ संसदीय सीट से दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह सांसद का चुनाव जीत चुके हैं. इसी तरह विदिशा संसदीय सीट से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इससे पहले पांच बार संसदीय चुनाव जीत चुके हैं, जबकि 6वीं बार भी उन्होंने जीत दर्ज की है. 


रिकार्ड मतों से जीते शिवराज सिंह चौहान
विदिशा संसदीय सीट से बीजेपी प्रत्याशी और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने कांग्रेास ने पूर्व सांसद भानुप्रताप शर्मा को उम्मीदवार बनाया था. 4 जून को जारी परिणामों में शिवराज सिंह चौहान को 11 लाख 16 हजार 460 मिले थे. 


शिवराज सिंह चौहान के विरोधी कांग्रेस प्रत्याशी भानुप्रताप शर्मा को 2 लाख 95 हजार 52 वोट मिले. इस तरह शिवराज सिंह चौहान ने यह चुनाव 8 लाख 21 हजार 408 वोटों से जीत लिया है. शिवराज सिंह चौहान की यह जीत प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी जीत है. 


अपना गढ़ नहीं बच सके दिग्विजय सिंह
कांग्रेस ने इस बार राजगढ़ संसदीय सीट से दिग्विजय सिंह को प्रत्याशी बनाया था. राजगढ़ संसदीय सीट दिग्विजय सिंह के परिवार का गढ़ मानी जाती है. इस सीट से दिग्विजय सिंह और उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह सांसद रह चुके हैं. 


इस बार दिग्विजय सिंह के सामने बीजेपी ने रोडमल नागर को ही अपना प्रत्याशी बनाया था. इस चुनाव में रोडमल नागर को 7 लाख 58 हजार 743 वोट मिले, जबकि दिग्विजय सिंह को 6 लाख 12 हजार 654 वोट प्राप्त हुए. इस तरह रोडमल नागर यह चुनाव 1 लाख 46 हजार 89 मतों से जीत गए.


बीजेपी प्रत्याशी नागर के सामने दिग्विजय सिंह अपना गढ़ बचाने में असफल साबित हुए. जबकि खास बात यह है कि दिग्विजय सिंह ने राजगढ़ के मतदाताओं से भावुक अपील करते हुए कहा था कि यह उनका आखिरी चुनाव है. इसके बावजूद उनकी यह भावुक अपील कारगर साबित नहीं हो सकी.


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