(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
MP Wildlife: जंगल का 'किंग' बना मध्य प्रदेश, टाइगर सहित इन जानवरों के स्टेट का मिला दर्जा
MP News: मध्य प्रदेश में इन जानवरों की जनसंख्या सबसे ज्यादा रिकॉर्ड की गई है. तो वहीं इस वर्ष भी प्रदेश के पास टाइगर स्टेट का तमगा बरकरार है. आंकड़ों के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा बाघ यहीं हैं.
Goodbye 2023: साल 2023 में मध्य प्रदेश के खूबसूरत जंगलों से कई खुशखबरी मिली. अगर कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहते हैं तो मध्य प्रदेश को वाइल्ड लाइफ के स्वर्ग का तमगा मिला है. इसकी वजह वन्य प्राणी संरक्षण में मध्य प्रदेश के काम को सबसे श्रेष्ठ माना है. राज्य के वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 में मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट और चीता स्टेट के साथ घड़ियाल स्टेट, तेंदुआ स्टेट, भेड़िया स्टेट और गिद्ध स्टेट का गौरवशाली ताज बरकरार रहा है.
सबसे पहले बात करते हैं श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क की, जिसे देश में चीता की पुनर्बसाहट के लिए चुना गया. देश में अपनी तरह के पहले और अनूठे मिशन के तहत मादा और नर चीतों को नामीबिया और साउथ अफ्रीका से भारत लाया गया. इसी के साथ एमपी को साल 2022 में चीता स्टेट (Cheetah State) का दर्जा भी मिला, जो साल 2023 में भी बरकरार है. इसी साल भारत में 75 साल बाद चार चीता शावकों ने जन्म लेकर इतिहास बना दिया.देश में अभी भी केवल मध्यप्रदेश में ही चीता पाया जाता है.
देश में सबसे ज्यादा बाघ एमपी में हैं
इसी तरह मध्य प्रदेश के बाघों की दहाड़, बीत रहे साल 2023 में देश भर ने सुनी. मध्य प्रदेश ने इस साल भी टाइगर स्टेट (Tiger State) का तमगा बरकरार रखा. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) के आंकड़ों के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा बाघ मध्यप्रदेश में हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस समय मध्य प्रदेश में 800 से ज्यादा बाघ हैं. बाघों को मध्य प्रदेश की आबोहवा खूब रास आ रही है. जिससे उनकी आबादी देश में सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में रिकॉर्ड हुई है. 29 जुलाई 2023 को इंटरनेशनल टाइगर डे पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservative Authority) की ओर से राज्यवार बाघों की गणना के आंकड़े जारी किए गए थे. इसमें एमपी को लगातार दूसरी बार टाइगर स्टेट का दर्जा मिला. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सबसे पहले 2006 में टाइगर स्टेट बना था.
इसके बाद अब लगातार दो बार से मध्य प्रदेश को यह गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल हो रही है. वैसे, यह तीसरी बार है जब मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट होने का गौरव मिला है. साल 2022 की गणना में मध्यप्रदेश के छह नेशनल पार्क सहित राज्य में 785 टाइगर पाए गए. 4 साल पहले साल 2018 में हुई गणना में भी मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 526 टाइगर थे. चार सालों में 259 टाइगर का इजाफा हो गया है. मध्य प्रदेश में 7 टाइगर रिजर्व हैं. यहां सतपुड़ा, पन्ना, पेंच, कान्हा, बांधवगढ़ और संजय-दुबरी टाइगर के साथ नए बने रानी दुर्गावती रिजर्व के अलावा 5 नेशनल पार्क और 10 सैंक्चुअरी हैं. टाइगर के लिए एमपी के पर्यावरण को बेहद मुफीद माना जाता है. पर्यटकों के बीच मध्य प्रदेश के टाइगर बेहद लोकप्रिय भी है. आम पर्यटकों के साथ तमाम नामी हस्तियां भी टाइगर का दीदार करने मध्य प्रदेश आते हैं. पिछले दिनों मंडला जिले के कान्हा किसली नेशनल पार्क में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर भी सपरिवार टाइगर देखने आए थे.
एमपी को मिला भेड़िया स्टेट का दर्जा
कैट प्रजाति के तेंदुआ (Leopard) को बेहद चालाक जानवर माना जाता है. साल 2022 की गणना के मुताबिक मध्य प्रदेश में 3427 तेंदुआ है, जिसकी बदौलत से उसे तेंदुआ स्टेट (Leopard State) का दर्जा दिया गया है. तेंदुआ लगभग प्रदेश के हर कोने के जंगल में पाया जाता है. वन विभाग का अनुमान है कि साल 2023 में इसमें डेढ़ सौ से 200 तेंदुआ की संख्या बढ़ी होगी. इसी तरह भेड़िया (Wolf) संरक्षण के मामले में भी मध्य प्रदेश अव्वल है. राज्य में भेड़िए की आबादी 772 है. इसके बाद राजस्थान का नंबर आता है, जहां संख्या 532 है. कहा जाता है कि मध्यप्रदेश की आबोहवा और यहां का वातावरण भेड़ियों को भी बहुत पसंद है. यही कारण है लगातार इस वन्यजीव का कुनबा बढ़ता जा रहा है और एमपी को भेड़िया स्टेट (Wolf State) का दर्जा मिला हुआ. भेड़िया मुख्यतः कान्हा बांधवगढ़ और पेज नेशनल पार्क में पाया जाता है.
मुरैना जिले में चंबल नदी पर बने घड़ियाल अभयारण्य को घड़ियालों (Alligator) का स्वर्ग कहा जाता है. यहां पिछली गणना के बाद घड़ियालों की संख्या बढ़कर 2227 होने की जानकारी मिली थी. इसके बाद बिहार की गंडक नदी का नंबर आता है लेकिन वहां भी आंकड़ा तीन अंकों से ज्यादा नही है. जलीय जीव के संरक्षण और संवर्धन के कारण ही साल 2023 में भी मध्य प्रदेश को घड़ियाल स्टेट (Alligator State) का तमगा मिला है. मध्य प्रदेश गिद्ध (Vulture) के मामले में भी देश मे सबसे आगे है. पिछली गणना के अनुसार एमपी में 9448 गिद्ध मिले थे. इसी के चलते इसे गिद्ध स्टेट (Vulture State) का दर्जा हासिल है.
भोपाल के केरवा इलाके में 2013 में गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केंद्र बनाया गया था.
इसे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से संयुक्त तौर पर संचालित किया जा रहा है. मध्य प्रदेश में कुल सात प्रजातियों में गिद्ध पाए जाते हैं. इनमें से चार स्थानीय और तीन प्रजाति प्रवासी हैं, जो शीतकाल समाप्त होते ही वापस चली जाती है. प्रदेश में सबसे अधिक पन्ना, मंदसौर, नीमच, सतना, छतरपुर, रायसेन, भोपाल, श्योपुर और विदिशा में गिद्ध पाए गए हैं. इन जिलों के जंगलों में गिद्धों की संख्या में तेजी से बढ़ी है.
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