MP: 'कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद को...', नांदेड़ ब्लास्ट केस में आरोपियों के बरी होने पर बोले धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी
Nanded Blast Case: राज्य मंत्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने कहा कि कहीं न कहीं कांग्रेस की तत्कालीन सरकारों ने हिंदू धर्म को बदनाम करने का प्रयास किया था, लेकिन अब कोर्ट के फैसले से सब उजागर हो गया.
Madhya Pradesh News: महाराष्ट्र के नांदेड़ (Nanded) में अप्रैल 2006 को हुए ब्लास्ट मामले में 12 लोगों को अदालत ने बरी कर दिया है. इन्हें नांदेड़ की एक अदालत ने बरी किया है. अब कोर्ट के फैसले पर एमपी के राज्य मंत्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, उस समय यह कांग्रेस द्वारा निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने की चाल थी.
राज्य मंत्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "उस समय यह कांग्रेस द्वारा निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने की चाल थी. अब कोर्ट के फैसले से सभी आरोपी बरी हो गए हैं. उस समय कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद को लेकर जो मानसिकता फैलाई थी, वह उजागर हो गई है."
Madhya Pradesh: On the Sessions court's verdict in the Nanded blast case, State Minister Dharmendra Bhav Singh Lodhi says, "At that time, it was a tactic by the Congress to trap innocent individuals. Now, with the court's verdict, all the accused have been acquitted. The… pic.twitter.com/XFakP9DA7x
— IANS (@ians_india) January 5, 2025
यह कांग्रेस का एजेंडा था- धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी
उन्होंने कहा, "कहीं न कहीं कांग्रेस की तत्कालीन सरकारों ने हिंदू धर्म को बदनाम करने का प्रयास किया था, लेकिन अब कोर्ट के फैसले से दूध का दूध पानी का पानी हो गया. यह कांग्रेस का बनाया हुआ एजेंडा था, इसमें कोई सच्चाई नहीं थी."
क्या है पूरा मामला?
बता दें 6 अप्रैल 2006 को नांदेड़ के पटबंधारे नगर में एक घर से तेज धमाके की आवाज आई थी. पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो उन्हें वहां नरेश राकोंडवर और हिमांशु पंसे मृत मिले. इसके अलावा चार अन्य लोग घायल हुए थे, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया. शुरुआत में ऐसा कहा गया कि पटाखे में विस्फोट होने से घटना हुई है. हालांकि, अगले दिन घर की तलाशी के बाद यह केस एटीएस को सौंप दिया गया था.
इसके बाद यह केस सीबीआई को सौंपा गया. जांच में यह बात सामने आई कि आरोपियों के तार पुणे, परभणी और जालना ब्लास्ट से भी जुड़े हैं. सीबीआई ने दो हजार पन्नों की चार्जशीट भी दाखिल की थी. इस मामले में कई गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे, लेकिन जांच में कुछ भी ठोस सबूत नहीं निकल पाया.