Bhopal News: बीजेपी की अगुवाई वाली मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार नदियों का प्रदूषण खत्म करने के लिए अधिकारियों के सख्त दिशा निर्देश दिये हैं. इसी क्रम में मध्य प्रदेश सरकार ने जल प्रदूषण करने वाले उद्योग और फैक्ट्रियों पर लगाम कसने के लिए कमर कस लिया है. इसके लिए सरकार ने नया प्लान तैयार किया है. प्रदेश सरकार अफसरों को जल को दूषित करने वाले उद्योग फैक्ट्रियों के संचालकों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार देने जा रही है.


बताया जा रहा है कि प्रदेश सरकार ने इस संबंध में एक प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजेगी. इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद अफसरों को कानूनी तौर पर एक्शन लेने का अधिकार हासिल हो जाएगा. मंगलवार (23 जनवरी) को मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में जल प्रदूषित करने फैक्ट्रियों के खिलाफ अफसरों को कार्रवाई करने के अधिकार देने संबंधी प्रस्ताव को हरी झंडी दी. 


केन्द्र को भेजा जाएगा प्रस्ताव
नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के अनुसार राज्य सरकार ने जल प्रदूषण निवारण अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजने का फैसला किया है. बता दें अब तक जल दूषित करने को लेकर छोटे-छोटे मामले अदालत जाते हैं. इससे पहले मकर संक्रांति पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश के दो जिले इंदौर और उज्जैन के जिला कलेक्टरों क्षिप्रा नदी में जल प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने के लिए कहा था.


सीएम के निर्देश पर 9 फैक्ट्रियों पर हुई कार्रवाई
इस आदेश में सीएम यादव ने कहा कि जो भी फैक्ट्रियां नदी में केमिकल का रिसाव करती हैं, उन फैक्ट्री या कारखानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. जिसके बाद इंदौर कलेक्टर ने 10 जनवरी को 9 फैक्ट्रियों की बिजली काट दी, इन औद्योगिक कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश देते हुए बताया गया था कि ये सरकार की गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं और अवैध ढंग से नियमों को ताक पर रख कर फैक्ट्री का जहरीला और दूषित जल नदी में प्रवाहित कर रहे हैं. 


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