MP Nikay Chunav 2022: मध्य प्रदेश में बुधवार कोहो रहे नगरीय निकाय चुनाव में लाखों की संख्या में पेंशनर और उनके परिजन नोटा में वोट करेंगे. इससे राजनीतिक पार्टियों के जीत के समीकरण भी बदल सकते हैं. पेंशनर लंबे समय से डीए और एरियल बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. उनकी मांग मंजूर नहीं होने पर पेंशनर संघर्ष समिति ने नोटा में वोट डालने का फैसला लिया है.
वर्तमान में मध्यप्रदेश में लगभग साढ़े चार लाख पेंशनर है, जबकि उनके परिवार की संख्या भी जोड़ी जाए तो यह आंकड़ा 20 लाख के आसपास पहुंच जाता है. पेंशनर्स द्वारा लंबे समय से महंगाई भत्ता बढ़ाने की मांग की जा रही है. पूर्व में कमलनाथ सरकार ने 4% महंगाई भत्ता बढ़ाया था. पेंशनर संघर्ष समिति के पदाधिकारी अरविंद चंदेल ने बताया कि कमलनाथ सरकार की रवानगी के बाद शिवराज सरकार ने बढ़ाए गए महंगाई भत्ते के आदेश को भी समाप्त कर दिया. उन्होंने बताया कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों को 31% महंगाई भत्ता मिल रहा है, जबकि पेंशनर को 17% ही महंगाई भत्ता दिया जा रहा है.
सेवानिवृत्त चिकित्सक डॉक्टर जी एस धवन ने बताया कि उनके द्वारा तीन दशक से ज्यादा समय तक लोगों की सेवा की गई लेकिन अब उन्हें महंगाई की मार से जूझना पड़ रहा है. सरकार महंगाई भत्ता नहीं बढ़ा रही है, इसलिए वे परिवार के साथ नोटा पर वोट करने के लिए मजबूर है. पेंशनरों और परिजनों द्वारा नोटा में वोट दिए जाने से राजनीतिक दलों के चुनावी परिणाम के समीकरण भी बिगड़ सकते हैं.
घर घर पर लग गए पोस्टर
पेंशनर अपनी मांगों को लेकर पूर्व में भी भाजपा और कांग्रेस दोनों को चेतावनी दे चुके हैं. अब पेंशनरों के घर पर वोट नहीं मांगने के पोस्टर भी लग चुके हैं. पोस्टर पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि "यह पेंशनर का घर है महंगाई भत्ता नहीं दिया जा रहा है इसलिए वोट मांग कर शर्मिंदा ना करें"
यह भी पढ़ें: