Indore Law College Book Controversy: इंदौर के सरकारी लॉ कॉलेज में धार्मिक कट्टरता फैलाने का मामला सामने आया है. इसे लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) द्वारा जमकर हंगामा कर दोषियो के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई. राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा 24 घंटे में जांच के आदेश कर कार्रवाई की बात कही गई. गुरुवार को इंदौर के सरकारी लॉ कॉलेज में एनएलएम के थर्ड सेमेस्टर की पढ़ाई में पढ़ाई जाने वाली सामूहिक हिंसा पद्धति की बुक में हिंदू विरोधी लेख लिखे जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ.
इसे लेकर एबीवीपी के छात्रों द्वारा गेस्ट फैकल्टी पर लव जिहाद जैसे आरोप लगाए थे. एबीवीपी का आरोप है कि कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं पर मुस्लिम छात्रों के साथ पब, रेस्टोरेंट में जाने के लिए दबाव बनाया जाता है. एबीवीपी ने कहा कि ऐसा नहीं करने वाले छात्राओं के नंबर काट दिया जाते हैं या कम कर दिए जाते है या फिर उन्हें फेल कर दिया जाता है. इसे लेकर बढ़ते विरोध के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने 6 फैकेल्टियों पर जांच के आदेश जारी कर दिए थे.
वहीं इस पूरे मामले में जब कॉलेज प्रबंधन से बात की गई तो कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर रहमान ने बताया कि जिन छात्रों ने यहां पर हंगामा किया, वे कॉलेज के छात्र नहीं थे. हालांकि छात्रों की शिकायत के बाद जिन अध्यापकों को शिकायत की गई है उन अध्यापकों को 5 दिन के लिए कॉलेज आने से मना किया गया है और पूरे मामले की जांच कराई जा रही है.
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा 24 दिये जांच के आदेश
साथ ही एबीवीपी के छात्र लक्की आदिवाल ने कॉलेज प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि कॉलेज में लव जिहाद तो एक विषय है, उसके अलावा कई अन्य विषय हैं. उन्होंने कहा कि हमें एलएलएम सेकंड सेमस्टर की एक पुस्तक मिली है, जिसमें हिंदू विरोधी बातें लिखी हुई है, जिसे कॉलेज प्रबंधन द्वारा बच्चो कों पढ़ाया जा रहा है. इसे लेकर क्षेत्रीय पुलिस भंवरकुआ थाने पर 17 सूत्रीय मांगो को लेकर आवेदन दिया गया है. उन्होंने कहा कि कॉलेज में मुस्लिम प्रोफेसर के द्वारा हिंदू विरोधी हरकतें की जा रही है. हिंदू छात्रों को बहला-फुसलाकर कैफे, पब और रेस्टोरेंट ले जाने की बातें सामने आई है. धार्मिक कट्टरता फैलाने वाली किताब के संपादक, लेखक और पढ़ाने वालों के खिलाफ एबीवीपी द्वारा एफआईआर दर्ज करने की बात कही गई.
विवाद को बढ़ता देख प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इंदौर पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र को इस बात से अवगत कराया गया. इस किताब की लेखक डा फरहत खान हैं. उन्होंने कहा कि 24 घंटे में जांच कर एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा गया. साथ ही कहा कि अगर कोई दोषी है तो कार्यवाही की जाएगी. उन्होंने कहा कि जिस देश में रहते हैं, जिस देश का खाते हो, उस देश के खिलाफ लिखने के लिए इतना जहर कहां से लाते हो.
पब्लिशर के संचालक ने क्या कहा?
इस विवादित पुस्तक को पब्लिश करने वाले अमर लॉ पब्लिशर के संचालक हितेश खेत्रपाल ने बताया कि यह पुस्तक सामूहिक हिंसा और दांडित न्याय पद्धति के नाम से 2015 में प्रकाशित की गई थी. जिसकी लेखिक डा. फरहत खान हैं. यह विवाद पहले 2021 में आया था जिसमें कुछ पन्नों को लेकर आपत्ति थी जिसे हमारे द्वारा लेखक डा. फरहत खान से चर्चा कर बुक को डिस्पोज कर आपत्तिजनक पन्नो को बदलवा दिया गया था. इसके साथ ही लेखिका द्वारा एक माफीनामा भी लिखा गया था, जिसमे लिखा गया था कि अगली बार ऐसा नहीं होगा. उनके द्वारा करीब 30 से ज्यादा किताबें लिखी गई है. कभी किसी किताब को लेकर विवाद नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि यह पहली ऐसी किताब थी जिसे लेकर विवाद सामने आया था. इसके बाद ही इसी पुस्तक पर डा खान द्वारा सीरीज भी आई, जो अभी पढ़ाई में ली जा रही है, जिनपर आज तक कोई विवाद नहीं हुआ. यह पुरानी किताब करीब 250 पेज के करीब की थी, जिसे लेकर लेखक को करीब 60 रु. पेज के हिसाब से रॉयल्टी दी गई थी. करीब पहली बार में 1000 पुस्तक छपवाई गई थी. विवाद के सामने आते ही उन्हें डिस्पोज कर दिया गया था.
डा. फरहत खान इंदौर के खालसा कॉलेज, रेनेसा कॉलेज, अक्षय लॉ कॉलेज फिर चमेली देवी कॉलेज में प्रिंसिपल के पद पर रहीं हैं. फिलहाल वो किडनी फेल के चलते अस्वस्थ हैं, जिनका हॉस्पिटल में इलाज जारी है. फिलहाल एक बार फिर विवाद उस धार्मिक कट्टरता वाली पुस्तक को लेकर आया है जो पुस्तक नष्ट कर दी गई थी. हालांकि कॉलेज में उन्ही पुरानी किताब को पढ़ाया जा रहा है, जो लेकर सरकरी लॉ कालेज प्रबंधन पर कई तरह के सवाल खड़े करता है.
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