MP Mining Department: मध्य प्रदेश में तीन महीने की रोक हटने के बाद एक बार फिर से नर्मदा नदी सहित अन्य नदियों से रेत निकालने का काम शुरू होगा. लेकिन यह काम बेहतर ढंग से संचालित होने की उम्मीद कम ही है, ऐसे में अवैध व्यापार को भी बढ़ावा मिल सकता है.


दरअसल, प्रदेश का खनिज विभाग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. प्रदेश के किसी जिले में माईनिंग अधिकारी नहीं है तो किसी जिले में प्रभारी इंस्पेक्टरों के भरोसे काम चलाया जा रहा है. जबकि कुछ जिलों में तो मिट्टी परीक्षण अधिकारी खनिज इंस्पेक्टर की भूमिका निभा रहे हैं.

अब मध्य प्रदेश के नवागत मुख्य सचिव अनुराग जैन ने पदभार ग्रहण करने के साथ ही खनिज विभाग की भी समीक्षा की. इस दौरान माइनिंग को लेकर दिशा निर्देश दिए. सीएस ने कहा कि आप लोग थोक में माइनिंग लीज तो दे देते हैं, लेकिन बाद में तमाम तरह की अनुमतियां देने में लटकाते हैं. सीएस द्वारा लिए गए इस फीडबैक से उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्द ही माइनिंग विभाग में स्टाफ की पूर्ति हो सकेगी.

प्रभारी इंस्पेक्टर के भरोसे यह जिले
प्रदेश के कई जिले प्रभारी खनिज इंस्पेक्टर के भरोसे चल रहे हैं. जिनमें श्योपुर, मंदसौर, शहडोल, मंडला, बड़वानी, शाजापुर, देवास, कटनी और भोपाल शामिल हैं, जहां प्रभारी खनिज इंस्पेक्टर प्रभारी माइनिंग अधिकारी के रूप में काम कर रहे हैं. जबकि भोपाल के नजदीकी जिले सीहोर में तो यह पद खाली है. यहां तैनात खनिज इंस्पेक्टर को भोपाल में अटैच किया गया है.

मिट्टी परीक्षण अधिकारी के भरोसे जिम्मेदारी
प्रदेश के कुछ जिले तो ऐसे हैं, जहां खनिज इंस्पेक्टर की भूमिका मिट्टी परीक्षण अधिकारियों द्वारा संभाली जा रही है. इन जिलों में ग्वालियर, भिंड, नीमच, बालाघाट, छिंदवाड़ा, सागर में मिट्टी परीक्षण अधिकारी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, जबकि रायसेन, कटनी और सतना जिले में माइनिंग अधिकारी ही नहीं है. ऐसे में यह जिले भी प्रभारियों के भरोसे ही संचालित हो रहे हैं.

माइनिंग विभाग में स्टाफ की कमी व अवैध रेत उत्खनन को लेकर जब माइनिंग विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला से बात की तो उन्होंने बताया कि जिस-जिस जिले में माइनिंग अधिकारी, माइनिंग इंस्पेक्टर के पद खाली है, वहां पदों की पूर्ति की जाएगी साथ ही अवैध उत्खनन व परिवहन के खिलाफ भी विशेष अभियान चलाया जाएगा.