(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Mohan Yadav News: मोहन यादव को 20 साल पहले क्यों लौटाना पड़ा था बीजेपी का टिकट? पढ़ें पूरा किस्सा
MP New CM: मध्य प्रदेश के नए सीएम के नाम पर बीजेपी के विधायक की बैठक ने मुहर लगा दी है. आज से 200 साल पहले 2003 में बीजेपी ने मोहन यादव का टिकट काट दिया था लेकिन वह हार नहीं माने और सीएम बन गए हैं.
MP New CM Name: मध्य प्रदेश में चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही मुख्यमंत्री के नाम को लेकर इंतजार हो रहा था. अब बीजेपी के विधायक दल की बैठक ने प्रदेश के नए सीएम के नाम पर मुहर लगा दी है. सोमवार (11 दिसंबर) को प्रदेश का अपना नया सीएम मिल चुका है. सीएम का ताज मोहन यादव के सिर सजा है लेकिन पार्टी ने आज से 20 साल पहले इनका टिकट काट दिया था. बीजेपी ने मोहन यादव को 2003 में उज्जैन जिले की बड़नगर सीट से टिकट दिया था. मगर मौजूदा विधायक शांतिलाल धाबई ने इसका विरोध किया था. विरोध को देखते हुए मोहन यादव का टिकट काट कर शांतिलाल धाबई को वापस टिकट दिया गया.
बीजेपी ने आज से 20 साल पहले मोहन यादव को उज्जैन जिले से चुनाव का टिकट दिया था. तब वहां के विधायक थे शांतिलाल धाबई. पार्टी की तरफ से मोहन यादव को टिकट दिए जाने का धाबई ने विरोध किया. विरोध इतना बढ़ गया कि बीजेपी को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था और इस तरह पार्टी ने मोहन यादव का टिकट काट दिया था और धाबई को वापस टिकट दिया था. पार्टी के टिकट काटे जाने के बाद भी यादव ने अपना सफर जारी रखा और कभी हार नहीं माने और आखिरकार 2013 में उज्जैन दक्षिण सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने.
जब मोहन यादव का पार्टी ने काट दिया था टिकट
मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव को अपने जीवन में एक बार उसे दूर का भी सामना करना पड़ा. जब उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उनको विधानसभा टिकट मिलने पर विरोध जताते हुए टिकट वापस करने के लिए मजबूर कर दिया था. यदि मोहन यादव टिकट वापस नहीं करते हुए चुनाव लड़ते तो शायद वह चौथी बार के विधायक होते. मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुरू से ही राजनीति में काफी संघर्ष किया. उन्हें उज्जैन विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया था. उस समय उज्जैन विकास प्राधिकरण की पहचान न के बराबर थी मोहन यादव ने पूरे मध्य प्रदेश में उज्जैन विकास प्राधिकरण को शिखर पर पहुंचा दिया.
नए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हमेशा पार्टी के हित में कार्य किया. मुख्यमंत्री मोहन यादव को जब पहली बार विधानसभा का टिकट बडनगर से मिला था. उस समय बड़नगर के स्थानीय नेताओं ने उन्हें बाहरी बताकर उनका विरोध शुरू कर दिया. मोहन यादव का जब विरोध हुआ तो, उन्होंने इसे मुस्कुराते हुए स्वीकार कर लिया. उन्होंने पार्टी को अपना टिकट लौटा दिया और फिर उनके स्थान पर शांतिलाल धबाई ने चुनाव लड़ा. शांतिलाल धबाई ने चुनाव जीत गए. इसके बाद फिर मोहन यादव ने उज्जैन दक्षिण विधानसभा से तैयारी की. उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन दबंग नेता जय सिंह दरबार को 10000 वोटो से हरा दिया. इसके बाद उन्होंने फिर कभी अपने विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को बराबर खड़े रहने का मौका तक नहीं दिया. इस बार भी मोहन यादव ने 12000 से ज्यादा वोट से जीत दर्ज करवाई है.
राजनीतिक करियर की शुरुआत
मोहन यादव मध्य प्रदेश में बीजेपी का बड़ा ओबीसी चेहरा हैं. उनके नाम की घोषणा संभवतः 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए की गई है. मोहन यादव की शैक्षणिक योग्यता पीएचडी है. 58 वर्षीय मोहन यादव का राजनीतिक करियर एक तरह से 1984 में शुरू हुआ जब उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को ज्वाइन किया. वह आरएसएस के भी सदस्य हैं. उन्होंने 2013 में उज्जैन दक्षिण से चुनाव लड़ा था और लगातार तीसरे चुनाव में यहां से विधायक निर्वाचित हुए हैं. इस बार उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी चेतन प्रेम नारायण यादव को 12941 वोटों से हराया था. मोहन यादव को 95699 वोट मिले थे.
58 वर्षीय मोहन यादव का राजनीतिक करियर एक तरह से 1984 में शुरू हुआ जब उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को ज्वाइन किया. वह आरएसएस के भी सदस्य हैं. उन्होंने 2013 में उज्जैन दक्षिण से चुनाव लड़ा था और लगातार तीसरे चुनाव में यहां से विधायक निर्वाचित हुए हैं. इस बार उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी चेतन प्रेम नारायण यादव को 12941 वोटों से हराया था. मोहन यादव को 95699 वोट मिले थे.
उज्जैनवासियों के लिए सरप्राइज
मोहन यादव के नाम का नाम सीएम की रेस में नहीं था. कोई भी इनके नाम को लेकर चर्चा नहीं कर रहा था. ऐसे में केवल उज्जैनवासियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के लिए यह किसी सरप्राइज से कम नहीं है. सीएम की रेस में नहीं होने के बाद भी आज बीजेपी के विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगाई गई और ये साफ कर दिया गया कि मोहन यादव ही प्रदेश के अगले सीएम होंगे. वह 2004 से पहले 2010 तक उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे हैं जबकि 2011 से 2013 तक एमपी राज्य पर्यटन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली है.
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