Jabalpur Nagar Nigam Chunav: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर नगर निकाय चुनाव (Jabalpur Municipal Election) में नाम वापसी का वक्त बीतने के साथ मेयर (Mayor) और पार्षद (Councillor) उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई है. अब मेयर के लिए 11 और पार्षद पद के लिए 364 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. मतदान 6 जुलाई को होगा. मेयर की सीट के लिए मुख्य मुकाबला बीजेपी (BJP) उम्मीदवार डॉक्टर जितेंद्र जामदार (Doctor Jitendra Jamdar) और कांग्रेस (Congress) प्रत्याशी जगत बहादुर सिंह (Jagat Bahadur Singh) के बीच है.


बता दें कि 11 जून को नामांकन के साथ शुरू हुई नगरीय निकाय की चुनावी प्रक्रिया ने बुधवार को अगले चरण में प्रवेश किया. नाम वापसी के अंतिम दिन महापौर पद के चार और पार्षद पद के 189 दावेदारों ने नाम वापस ले लिए. इस प्रकार अब महापौर पद के लिए कुल 11 और 79 वार्ड के पार्षद पद के 364 दावेदार मैदान में हैं. नाम वापसी के ठीक बाद इन्हें चुनाव चिन्ह आवंटित किए गए. प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों को उनके प्रतीक चिन्ह दिए गए जबकि निर्दलियों को अलग-अलग चिन्ह दिए गए.


जिला निर्वाचन कार्यालय (District Election Office) के अनुसार, नगर निगम जबलपुर के महापौर पद के लिए 11 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. नाम वापसी की समय-सीमा खत्म होने के बाद सभी 11 उम्मीदवारों को प्रतीक चिन्ह आवंटित किए गए हैं. नगर निगम के महापौर पद के लिए 16 लोगों ने नाम निर्देशन पत्र दाखिल किए थे. इनमें से एक दावेदार शशि सिंह बघेल का नाम निर्देशन पत्र संवीक्षा के दौरान निरस्त हो गया था. शेष पंद्रह दावेदारों में से चार लोगों नकुल गुप्ता, राकेश समुंद्रे , ठाड़ेश्वर महावर और मोहम्मद रईस वली ने उम्मीदवारी से नाम वापस ले लिए.


जानें किसके बीच है मुकाबला


महापौर पद के उम्मीदवारों में कांग्रेस उम्मीदवार जगत बहादुर सिंह अन्नू, बीजेपी से डॉ. जितेंद्र जामदार, बीएसपी से लखन अहिरवार, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से रश्मि पोर्ते, स्मार्ट इंडियन पार्टी से सचिन गुप्ता, जनता दल यूनाइटेड से विनोद कुमार पटेल, निर्दलीय उम्मीदवार भूपेंद्र मेहरा, इंद्र कुमार गोस्वामी, राजेश सेन 'राजू', राजकुमार त्रिपाठी 'सोनपुर वाले गुरु बाबा' और शशि स्टैला के बीच मुकाबला है.


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कई बागी भी मैदान में


पार्षद पद के निर्वाचन में नाम वापसी के बाद बुधवार को चुनावी माहौल गरमा गया. यह सरगर्मी इसीलिए भी और ज्यादा बढ़ गई क्योंकि काफी मान-मनौवल के बाद भी बीजेपी और कांग्रेस से जुड़े कई बागी प्रत्याशियों ने नाम वापस नहीं लिए और वे निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में आ गए. इसमें कई पूर्व पार्षद तक शामिल हैं. निर्दलीय के रूप में इनके चुनाव मैदान में आने की वजह कई वार्डो में मुकाबला त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय तक हो गया है. जानकारों का कहना है कि इसका असर परिणामों पर भी दिखाई देगा.


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