Bhopal News: वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल में लगभग 11 साल की बाघिन मचमची की बुधवार सुबह मृत्यु हो गई. मचमची को 2018 को बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व उमरिया से रेस्क्यू कर वन विहार लाया गया था. उस समय इसकी उम्र 7-8 वर्ष थी. वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में इसे लायन हाउसिंग क्र. 1 में रखा गया था. बाघिन मचमची को वन विहार का वातावरण इस कदर रास आया था कि वह आखरी समय तक पूर्ण रूप से स्वस्थ थी. इससे पहले रविवार को पिंकी नाम की मादा तेंदुए की मौत हो गई थी.
बुधवार को गई मचमची की जान
पिछले दो दिन से मचमची बाघिन ने अपना नियमित भोजन नहीं लिया था. ऐसा वह सामान्य रूप से अक्सर करती रही है. वह मंगलवार देर रात तक अपने हाउसिंग में सामान्य हालात में ही थी. लेकिन बुधवार अलसुबह लगभग 05 बजे रात्रि गश्ती दल को वह अपने हाउसिंग में निश्चेत अवस्था में मिली. तत्काल वन्यप्राणी चिकित्सक वन विहार के डॉ. अतुल गुप्ता ने उसका परीक्षण किया. इसके बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया.
मचमची का किया गया पोस्टमार्टम
बाघिन मचमची का पोस्टमार्टम किया गया. उसके आंतरिक अंगों को परीक्षण के लिए स्कूल आफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ जबलपुर और पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला जहांगीराबाद भोपाल भेजा गया है. फिलहाल मृत बाघिन की मृत्यु का कारण तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा.
पोस्टमार्टम के बाद मचमची का वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में ही वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य पंचगणों की उपस्थिति में नियमानुसार दाह संस्कार कर दिया गया. मचमची बाघिन की अचानक मृत्यु के कारण वन विहार में अत्यंत ही शोक का माहौल है. अब वर्तमान में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में 13 बाघ ही शेष बचे हैं.
बता दें कि बाघिन मचमची के पोस्टमार्टम डॉ. अतुल गुप्ता, वन्यप्राणी चिकित्सक वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, डॉ. आरती सक्सेना, राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल, डॉ. प्रवेश भारद्वाज, राज्य पशु चिकित्ससालय भोपाल, डॉ. प्रशांत देशमुख, वाईल्डलाईफ कंजर्वेशन ट्रस्ट एवं डॉ. रजत कुलकर्णी, वाईल्ड लाईफ एसओएस वन विहार और अन्य सहायक चिकित्सक दल ने संयुक्त रूप से किया.
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