Sehore News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 40 किलोमीटर दूर सीहोर जिला मुख्यालय पर आज ही के दिन 14 जनवरी 1857 में 357 क्रांतिकारियों ने शहादत दी थी. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ 1857 की क्रांति को भारतीय इतिहास में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में देखा जाता है. मेरठ से 10 मई 1857 को सैनिक विद्रोह के रूप में शुरु हुई इस क्रांति ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था. इसके बाद ब्रिटिश शासन के खिलाफ लोगों में असंतोष फैलता गया और धीरे-धीरे इस आंदोलन ने उग्र रूप लिया. वहीं पूरे देश के साथ ही मध्य भारत में भी अंग्रेजी हुकूमत ने इस विद्रोह को दबाने के लिए अनेक क्रांतिकारियों को गोली से भून दिया. 


अंग्रेजी शासन के खिलाफ मध्य भारत में चल रहे विद्रोह में सीहोर की बर्बरतापूर्ण घटना को जलियावालाबाग हत्याकांड की तरह माना जाता है. 10 मई 1857 को मेरठ की क्रांति की ज्वाला सुलग रही थी. मेवाड़, उत्तर भारत से होती हुई क्रांतिकारी चपातियां 13 जून 1857 को सीहोर और ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच गई थी. एक अगस्त 1857 को छावनी के सैनिकों को नए कारतूस दिए गए. इन कारतूसों में सुअर और गाय की चर्बी लगी हुई थी. जांच में सुअर और गाय की चर्बी के उपयोग की बात सामने आने पर सैनिकों में आक्रोश और बढ़ गया. इसके बाद सीहोर छावनी के सैनिकों ने सीहोर कॉन्टिनेंट पर लगा अंग्रेजों का झंडा उतार कर जला दिया और महावीर कोठ और वलीशाह के संयुक्त नेतृत्व में स्वतंत्र सिपाही बहादुर सरकार का ऐलान किया.


अंग्रोजों ने 356 क्रांतिकारियों को एक साथ गोलियों से भूना
वहीं जनरल ह्यूरोज को जब सीहोर की क्रांतिकारी गतिविधियों के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने इसे बलपूर्वक कूचलने के आदेश दिए. सीहोर में जनरल ह्यूरोज के आदेश पर 14 जनवरी 1858 को सभी 356 क्रांतिकारियों को जेल से निकालकर सीवन नदी किनारे सैकड़ाखेड़ी चांदमारी मैदान में लाया गया. इन सभी क्रांतिकारियों को एक साथ गोलियों से भून दिया गया था. जनरल ह्यूरोज ने इन क्रांतिकारियों के शव पेड़ों परा लटकाने के आदेश दिए और शवों को पेड़ों पर लटकाकर छोड़ दिया गया था. दो दिन बाद आसपास के ग्रामवासियों ने इन क्रांतिकारियों के शवों को पेड़ों से उतारकर इसी मैदान में दफनाया था. तब से प्रतिवर्ष सीहोर जिला मुख्यालय स्थित सैकड़ाखेड़ी मार्ग स्थित समाधी स्थल पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. आयोजन में शहर के विभिन्न संगठन के सदस्य व जनप्रतिनिधि पहुंचकर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं.



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