Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों (Government Colleges) में प्रोफेसर के लगभग चार हजार पद खाली हैं. वहीं इन कॉलेजों में प्रिंसिपल की भी 496 पद खाली हैं. केंद्र सरकार के जरिये शुरू की गई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) यहां दो साल पहले ही लागू की गई, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई. हालत ये हैं सरकार के पोस्टग्रेजुएट कॉलेज (Postgraduate) में प्रिंसिपल के 98 पदों में से 84 पद खाली हैं, जबकि अंडरग्रेजुएट कॉलेज (Undergraduate) में प्रिंसिपल के 426 में से 412 पद खाली हैं. फिलहाल इन सभी जगहों पर सीनियर प्रोफेसर, प्रिंसिपल इंचार्ज का पदभार संभाल रहे हैं. 


प्रदेश के सभी कॉलेजों में प्रिंसिपल और टीचिंग स्टाफ के बड़ी संख्या में पद खाली होने से, इन कॉलेज में करीब पांच हजार गेस्ट फैकल्टी पढ़ा रहे हैं. कॉलेज में 96 फीसद से अधिक सीटें खाली होने का मुख्य कारण 20 साल से प्रोफेसर का प्रमोशन ना होना बताया जा रहा है. इन कॉलेज में सीनियर प्रोफेसर के प्रिंसिपल इंचार्ज बनाये जाने से वह क्लास नहीं ले पाते हैं, वह केवल प्रशासनिक कामों में व्यस्त रहते हैं. इसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ता है. 


नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत कॉलेजों में कई नए कोर्सों की शुरूआत की गई, लेकिन नए पदों के साथ पुराने पदों को भरा नहीं गया. इस कारण सब्जेक्ट एक्सपर्ट की समस्या भी पैदा भी हो गई. कॉलेज के टीचिंग स्टाफ के एडमिन्सट्रेटिव कामों में व्यस्त रहने के कारण, समय से छात्रों का कोर्स वर्क पूरा नहीं होता है. प्रदेश के शहरी कालेजों में टीचिंग स्टाफ के स्थिति थोड़ी बेहतर है, लेकिन खुले कॉलेजों और ग्रामीण क्षेत्रों में हालात बदतर हैं.


मध्य प्रदेश में प्रोफेसर के 848 और असिस्टेंट प्रोफेसर के 9633 पद स्वीकृत हैं. जहां दोनों पदों को मिलाकर 3997 टीचिंग स्टाफ के पद खाली हैं. इसी तरह प्रदेश के पांच इंजीनियरिंग कालेजों में भी प्रिंसिपल का पदभार सीनियर प्रोफेसर के हाथों में है. इन कॉलेजों में प्रोफेसर के स्वीकृत 63 पदों में से 62 पद खाली हैं, वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर के 138 में सिर्फ 7 पदों को भरा गया है.


पॉलीटेक्निक कॉलेजों में स्वीकृत 67 पदों में से 54 पद खाली हैं, वहीं हेड आफ डिपार्टमेंट के 297 पदों में से 247 पद खाली हैं. प्रदेश में दो साल पहले असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली पदों को भरा गया था, लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है. इस संबंध में गेस्ट फैकल्टी महासंघ के एक सदस्य ने बताया कि कई बार गेस्ट फैकल्टी को परमानेंट करने की मांग की गई, लेकिन सरकार ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया. उन्होंने बताया कि प्रदेश के अलग-अलग कॉलेजों में साढ़े चार हजार फैकल्टी पढ़ा रहे हैं. 


दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक, मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में परमानेंट फैकल्टी न होने से कॉलेजों में कई महत्वपूर्ण कार्य रूके हुए हैं. यही कारण है कि कॉलेजों को कई तरह के प्रोजेक्ट और ग्रांट मिलने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. परमानेंट फैकल्टी नहीं होने से फंडिंग से संबंधित एजेंसियां ग्रांट देने में हिचकिचाती हैं. जिससे पढ़ाई का स्तर लगातार गिरने की संभावना बनी रहती है.


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