Shajapur: मथुरा के बाद शाजापुर में होता है कंस का ऐसा वध, 269 सालों से चल रही है परंपरा
MP News: आयोजन समिति के तुलसीराम भावसार ने बताया कि 269 साल पहले इस परंपरा को शुरू किया गया था. मथुरा के बाद केवल शाजापुर में ही वध की परंपरा है. यहां पर मान्यता के अनुसार कंस वध का आयोजन होता है.
Shajapur News: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के शाजापुर (Shajapur) में 269 साल से लगातार कंस वध की परंपरा चली आ रही है, जिसका आज भी निर्वहन हो रहा है. जहां पर कंस वध होता है उस चौराहे का नाम कंस चौराहा पड़ गया है. कोरोना काल के बाद कंस वध को लेकर व्यापक तैयारियां की जा रही है. कार्तिक मास की दशमी पर कंस वध किया जाता है. इसको लेकर 3 नवंबर को कंस वध का आयोजन रखा गया है.
269 साल पहले शुरू की गई था परंपरा
आयोजन समिति के तुलसीराम भावसार ने बताया कि 269 साल पहले इस परंपरा को शुरू किया गया था. मथुरा के बाद केवल शाजापुर में ही कंस वध की परंपरा है. कुछ शहरों में कंस वध जरूर शुरू किया गया था, मगर रावण दहन की तरह पुतला दहन का कार्यक्रम रखा जाता है लेकिन यहां पर विधिवत मान्यता के अनुसार कंस वध का आयोजन होता है. इसके पहले चल समारोह भी निकाला जाता है.
शाजापुर के रहने वाले प्रवीण चौहान ने बताया कि कंस वध का सभी को इंतजार रहता है. बड़ी संख्या में लोग शाजापुर और आसपास के इलाके से कंस वध समारोह में शामिल होने के लिए आते हैं. यहां पर बलवीर हनुमान मंदिर से चल समारोह की शुरुआत होती है जो नई सड़क, बस स्टैंड होते हुए कंस से चौराहे पर पहुंचता है. इसके बाद कंस वध समारोह आयोजित किया जाता है.
देवता और दानव के वेश में नजर आते हैं कलाकार
जब चल समारोह निकाला जाता है तो देवता और दानव का वेश धारण कर कलाकार प्राचीन इतिहास का चरित्र चित्रण करते हैं. इस दौरान देवता और दानव के बीच प्राचीन मान्यताओं के अनुसार वाक युद्ध भी होता है. इसके बाद कृष्ण का रूप धारण करने वाले कलाकार कंस के सिंहासन पर चढ़कर उनका वध करते हैं. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहकर कलाकारों का मनोबल भी बढ़ाते हैं.
यह भी पढ़ें: Bhind: भिंड में 50 हजार की रिश्वत लेते लोकायुक्त के हत्थे चढ़ा पटवारी, तीन किश्तों में मांगे थे पैसे