MP News: कटनी स्टोन आर्ट फेस्टिवल (Katni Stone Art Festival) में देश के जाने-माने शिल्पकारों की उकेरी गई ऐतिहासिक कलाकृतियां अब भोपाल की शोभा बढ़ा रही हैं. नवनिर्मित रवीन्द्र सभागम परिसर में स्टोन आर्ट फेस्टिवल 'आधारशिला' (Stone Art Festival 'Adharshila') के दौरान शिल्पकारों की बनाई गई कलाकृतियों में से छह को स्थापित किया गया है.


कटनी स्टोन पर बनी कलाकृतियां लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन गई हैं. राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना "एक जिला-एक उत्पाद" (One District One Product Scheme) के तहत कटनी स्टोन का चयन किया गया है. कटनी स्टोन (Katni Stone) को प्रमोट करने के लिए जिला प्रशासन ने पिछले साल नवंबर माह में कटनी स्टोन आर्ट फेस्टिवल 'आधारशिला' का आयोजन किया था. फेस्टिवल में देशभर के शिल्पकारों ने कटनी स्टोन पर हुनर का प्रदर्शन करते हुए ऐतिहासिक कलाकृतियों का निर्माण किया था.


गार्गी, लक्ष्मी का प्रतीक कौड़ी की कलाकृति


कटनी के आधारशिला कार्यक्रम में जबलपुर की शिल्पकार सुप्रिया अंबर की बनाई गई वैदिक कालीन महान दार्शनिक गार्गी वाचकन्वी की कलाकृति भी शोभा बढ़ा रही है. अंबर ने आधारशिला के दौरान फीमेल इंडियन फिलासफी के रूप में पहला कल्चर शिल्पकला के माध्यम से उकेरा था. इंदौर के शिल्पकार जगदीश वेगढ़ की निर्मित कटनी के पीले स्टोन पर मां लक्ष्मी का प्रतीक मानी जानेवाली विशाल कौड़ी रवीन्द्र सभागम परिसर में लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है. तमिलनाडु के शिल्पकार डीवी मुरूगन की कल्चर एंड हेरीटेज पर आधारित शिल्प, हंसराज कुमावत की विदइन शिल्प, रवि कुमार की प्यूरिटी ऑफ रीलेशनशिप और रमनदीप की माइंडस्कैप 2 कलाकृति भी परिसर में स्थापित की गई है.


इन शिल्पकारों ने किया था हुनर का प्रदर्शन


कटनी स्टोन आर्ट फेस्टिवल के दौरान शिल्पकार रमनदीप सिंह, मनदीप खैरा, मनसा, पंजाब, प्रदीप बी जोगडांड, मुंबई, हरपाल, सिरसा, हरियाणा, विनय अंबर,जबलपुर, रमेश चंद्रा, रवि कुमार, नीरज विश्वकर्मा उत्तरप्रदेश, योगेश के प्रजापति नई दिल्ली, हंसराज कुमावत, जयपुर, डीवी मुरूगन तमिलनाडु, सुप्रिया अंबर जबलपुर और जगदीश वेगड़ इंदौर ने कटनी स्टोन पर शिल्प का प्रदर्शन किया था. 


कटनी के सेंड स्टोन की प्रदेश स्तर पर ही नहीं बल्कि भारत के बड़े शहरों सहित विदेशों में भी विशेष डिमांड है. देशभर में बड़े-बड़े शहरों के भवनों, चौराहों, पार्कों, धार्मिक स्थलों की कटनी स्टोन की कलाकृतियां शोभा बढ़ा रही हैं. यूरोपीय देशों में कटनी स्टोन के टाइल्स की डिमांड भी अधिक है. मुलायम और कई रंगों में पाए जाने के कारण शिल्पकारों को कटनी का स्टोन बेहद पसंद आ रहा है. इसलिए कटनी स्टोन को जिला प्रशासन ने एक जिला एक उत्पाद में चयनित किया है और आधारशिला के माध्यम से कटनी स्टोन को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली है.


कल्चुरी काल राजाओं को पसंद था कटनी स्टोन  


कटनी स्टोन का इतिहास काफी पुराना है. इतिहासकारों की माने तो कल्चुरी काल की राजधानी जबलपुर के तेवर में स्थापित थी. लेकिन कटनी के बिलहरी और कारीतलाई में शिल्प केन्द्र बने हुए थे. कटनी स्टोन पर शिल्पकारी कर दूसरे स्थानों पर भेजा जाता था. बिलहरी के पुरातन मंदिर, बावड़ियां, तालाबों में आज भी इस बात के प्रमाण देखने को मिलते हैं और कारीतलाई में भी कल्चुरी काल की ऐतिहासिक कलाकृतियां संरक्षित हैं.


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