Indore News: इंदौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय ( Chief Medical and Health Officer) यानी सीएमएचओ कार्यालय के बाहर मंगलवार को सैकड़ों आशा-उषा कार्यकर्ताओं ने शासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाने का एक बार फिर प्रयास किया.


वर्ष 2006 से13 सूत्री मांगों को लेकर कर रही हैं संघर्ष


दरअसल, वर्ष 2006 से अपनी 13 सूत्री मांगों को लेकर संघर्षरत आशा-उषा कार्यकर्ताओं की परेशानी जस की तस बनी हुई है. अपनी 13 सूत्री मांगों को लेकर आशा-उषा महिला कार्यकर्ता धरना-प्रदर्शन करती दिख रही हैं. इसी कड़ी में मंगलवार को इंदौर के सीएमएचओ कार्यालय के बाहर फिर एक बार सैकड़ों आशा-उषा कार्यकर्ताओं ने अपनी आवाज बुलंद की और अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया.


मांगें नहीं मानने पर होगी काम बंद हड़ताल भी


मीडिया से बात करते हुए आशा-उषा कार्यकर्ता ज्योति दायमा ने बताया कि वे सब 13 सूत्री मांगों को लेकर पिछले कई सालों से संघर्ष कर रही हैं और प्रशासन उनकी बात सुनने को तैयार ही नहीं है. 13 सूत्री मांगों में मुख्य रूप से वेतन बढ़ोतरी और अस्थाई रूप से काम कर रहीं आशा-उषा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ विभाग में स्थाई पद देने की मांग शामिल है. ज्योति दायमा ने कहा कहा, 'यदि मांगें नहीं मानी गईं तो हम काम बंद हड़ताल भी करेंगे'.


चुनावी साल में सरकारी कर्मचारियों ने खोल रखा है मोर्चा


गौरतलब है कि वर्ष 23 और 24 चुनावी साल हैं और इस वजह से लगभग सभी सरकारी कर्मचारियों ने प्रशासन के खिलाफ अपना मोर्चा खोल रखा है और अपनी लंबित मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. यह माना जा सकता है कि आशा-उषा कार्यकर्ताओं का आंदोलन भी इसी कड़ी में शामिल है. देखने वाली बात होगी कि सरकार इनकी मांगों पर क्या कार्रवाई करती है.


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