MP News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) में अभी डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त है, लेकिन इससे पहले कांग्रेस (Congress) के दो दिग्गज नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Former CM Kamal Nath) और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Former CM Digvijay Singh) के बीच दूरियां बढ़ने लगी है. यह खुले तौर पर नजर भी आ रहा है. इसको लेकर पार्टी के निचले स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं में चिंताएं घर करने लगी है.


कमलनाथ कर रहें हैं लगातार बैठक


कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच की दूरियां आने वाले दिनों में कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकती है. राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में शिवराज सरकार के खिलाफ बढ़ते असंतोष और कांग्रेस की एकजुटता के चलते सत्ता हासिल की थी. उसके बाद पार्टी में भीतरी संघर्ष शुरू हुआ और उसी के चलते वर्तमान के केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया, परिणाम स्वरूप कांग्रेस की सरकार गिर गई और बीजेपी एक बार फिर सत्ता में आ गई.


राज्य में महज डेढ़ साल ही कांग्रेस सत्ता में रह पाई और एक बार फिर विपक्ष की भूमिका में है . वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस एक बार फिर इस बात की उम्मीद लगाए हुए हैं कि उसकी सत्ता में वापसी हो सकती है. प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के तेवर भी तल्ख हैं और वे पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए लगातार बैठकर कर रहे हैं, उनके दौरे भी प्रस्तावित हैं. एक तरफ जहां पार्टी चुनावी तैयारी में लगी है, उसी दौरान कमलनाथ की दिग्विजय से दूरी बढ़ने के साफ तौर पर संकेत मिलने लगे हैं.


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सोशल मीडिया पर विडियो हो रहा था वायरल
पिछले दिनों दिग्विजय सिंह ने एक सिंचाई परियोजना के प्रभावित किसानों की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात का समय मांगा और जब उन्हें समय नहीं दिया गया, तो भी धरने पर बैठ गए. दिग्विजय के इस धरने की जानकारी कमलनाथ को नहीं थी, इस बात का खुलासा तब हुआ जब कमलनाथ स्वयं धरना स्थल पर पहुंचे.


इस दौरान दोनों नेताओं के बीच जो बातचीत हुई वह सोशल मीडिया पर वायरल हुई. इस वीडियो में हो रहे संवाद ने जाहिर कर दिया कि दोनों की बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है. उसके बाद से दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच दूरियां लगातार बढ़ती जा रही हैं.


कमलनाथ एक तरफ जहां भोपाल में पार्टी पदाधिकारियों की बैठक ले रहे हैं तो दूसरी ओर दिग्विजय सिंह भी दौरे में व्यस्त हैं. दिग्विजय सिंह अपने साथ उन नेताओं को जोड़ने की कोशिश में लगे हैं जो किसी न किसी रूप में कमलनाथ के करीब नहीं है. वर्तमान में दिग्विजय सिंह ने सबसे पहले अरुण यादव को अपने साथ खड़ा करने की कोशिश की है, यह बात अलग है कि वर्तमान में यादव ने खुलकर न तो दिग्विजय सिंह का साथ खड़े होने के संकेत दिए है और न ही वे कमलनाथ के खिलाफ है. यादव की गिनती राहुल गांधी के करीबियों में होती है, यही कारण है कि दिग्विजय सिंह ने यादव से नजदीकियां बढ़ाई हैं.


अरुण यादव की है समर्थको में अच्छी पकड़
ज्ञात हो कि अरुण यादव कांग्रेस के उन नेताओं में से हैं जिनकी प्रदेश में समर्थकों की अच्छी खासी तादाद है और वो राज्य में पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता के तौर पर ही पहचाने जाते हैं. अरसे से कांग्रेस के अंदर ही अरुण यादव को कमजोर करने की कोशिश चल रही है और अब दो बड़े नेताओं के टकराव के बीच अरुण यादव के उपयोग की कोशिश की जा रही है. पहले भी अरुण यादव को बड़े नेताओं ने ही नुकसान पहुंचाया है और अब एक बार फिर उन्हें कमजोर करने के लिए दाव पेंच चले जा रहे है. 


2023 में है विधानसभा चुनाव
कांग्रेस के एक जिम्मेदार नेता का कहना है कि कमलनाथ के पास प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के दो पद हैं. इन दो पदों में से एक पद दिग्विजय सिंह अपने नजदीकी को दिलाना चाहते हैं, इसी के चलते वे कमलनाथ पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. बीजेपी तो कई बार छुट्टी ले चुकी है कि दिग्विजय सिंह जो भी कर रहे हैं, वह अपने बेटे को स्थापित करने के लिए कर रहे हैं. पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ता दो बड़े नेताओं के बीच बढ़ी दूरी को लेकर खासे चिंतित हैं क्योंकि आगामी समय में एक तरफ जहां पंचायत के चुनाव होना है तो दूसरी और नगरीय निकाय के चुनाव प्रस्तावित हैं. इसके साथ ही डेढ़ साल बाद विधानसभा के चुनाव हैं. कार्यकर्ताओं की चिंता इसलिए भी बाजिव मानी जा रही है क्योंकि अगर पार्टी के भीतर टकराव बढ़ गया तो विधानसभा चुनाव की राह कांग्रेस के लिए आसान नहीं रहने वाली.


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