मध्य प्रदेश (Madhya) की राजधानी है भोपाल (Bhopal) के आसपास के इलाकों को उनके प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है. इन धरोहरों को देखने के लिए देश और दुनिया के पर्यटक (Tourist) आते हैं. अगर आप भोपाल और उसके आसपास घूमना चाहते हैं तो आइए हम आपको बताते हैं वहां के पांच बड़े टूरिस्ट स्पॉट (Tourist Spot) के बारे में. इनमें प्राकृतिक (Natural), ऐतिहासिक (Historical) और धार्मिक (Religious) स्थल शामिल हैं.


वन विहार राष्ट्रीय उद्यान


भोपाल का वन विहार राष्ट्रीय उद्यान बड़े पर्यटन स्थलों में से एक है. इसमें चीतल, सांभर, ब्लू बुल, साही, लकड़बग्घा और काला हिरण जैसे जानवर रखे गए हैं. ये जगह एडवेंचर और प्रकृति प्रेमियों में काफी लोकप्रिय है.वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के जानवर मांसाहारी और शाकाहारी में बांटे गए हैं. शाकाहारी जानवरों के क्षेत्र में लोगों को घूमने की इजाजत है.वन विहार राष्ट्रीय उद्यान मंगलवार छोड़कर सप्ताह के बाकी के दिनों में पर्यटकों के लिए खुला रहता है.इसके खुलने और बंद होने का समय सुबह 6:30 बजे से शाम 6:30-7:00 बजे तक है.


सांची का स्तूप 


सांची स्तूप भोपाल से करीब 50 किमी की दूरी पर स्थिति है. यहां के महास्तूप को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है. यह स्तूप तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक के शासनकाल में बनाया गया था. यह देश के सबसे बड़े बौद्ध स्मारकों में से एक है.सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए गौतम बुद्ध के अवशेषों को देश में कई जगह रखवाया था. सांची के एक स्तूप में भी गौतम बुद्ध के अवशेष रखे हुए हैं. सांची स्तूप रोजाना सुबह साढ़े छह बजे से शाम साढ़े छह बजे तक खुला रहता है. यहां जाने के लिए भारतीय लोगों के लिए 30 रुपये और विदेशी नागरिकों के लिए 500 रुपये का टिकट लगता है.



भीमबेटका गुफाएं


भोपाल से करीब 45 किमी दक्षिण में स्थित है भीमबेटका. दरअसल भीमबेटका गुफाएं हैं. यह जगह भी यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है. माना जाता है कि ये गुफाएं 30 हजार साल से भी अधिक पुरानी हैं. भीमबेटका नाम को देखते हुए इसे महाभारत के पात्र भीम से भी जोड़ा जाता है. भीमबेटका हजारों साल पहले के इंसानों द्वारा बनाए गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है. इन गुफाओं में बने चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माने जाते हैं. ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्नों में से एक हैं. भीमबेटका की गुफाए पर्यटकों के लिए सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे के बीच खुली रहती हैं. यहां भारतीय नागरिकों के लिए 10 रुपये का और विदेशी नागरिकों के लिए 100 रुपये का टिकट लगता है.



भोपाल का ट्राइबल म्यूजियम 


यह भोपाल के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है. यहां आप आदिवासी संस्कृति को देख सकते हैं. म्यूजियम में लगे चित्र और वास्तुकला आपको आदिवासी जीवन के बारे में समझ बनाने में मदद कर सकते हैं. इसमें मध्य प्रदेश की जनजातियों के जीवन, देशज ज्ञान, कला परंपरा और सौन्दर्यबोध का विशेष ध्यान दिया गया है. संग्रहालय की विभिन्न दीर्घाओं में मध्य प्रदेश के जनजातीय समुदायों के आवास की वास्तुगत, शिल्पगत और व्यवहारगत रूपों को दिखाया गया है. संग्रहालय में 6 अलग-अलग कलाओं और शिल्प माध्यमों की दीर्घाएं हैं. इनमें जनजातीय जीवन की झलक, उनके परिवेश, खेल ,संस्कृति, देवलोक आदि देखने को मिलते हैं. हर दीर्घा में दर्शकों के लिए कियोस्क लगे हैं. उनके जरिए आप उस दीर्घा के बाद में हिंदी और अंग्रेजी में विस्तार से जानकारी ले सकते हैं. इस म्यूजियम में प्रवेश के लिए भारतीय नागरिक को 20 रुपये और विदेशी नागरिक को 400 का टिकट लेना पड़ता है.


भोपाल का बिड़ला संग्रहालय


यह भोपाल में घूमने की प्रमुख जगहों में से एक है. बिड़ला संग्रहालय भोपाल के बिड़ला मंदिर परिसर का एक हिस्सा है. इसमें भगवान शिव और देवी पार्वती का पवित्र मंदिर और एक लक्ष्मी-नारायण मंदिर भी है. भोपाल के अरेरा हिल्स में स्थित यह संग्रहालय में आज सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक घूम सकते हैं. यहां भारतीय नागरिकों के लिए 5 रुपये और विदेशी नागरिकों के लिए 50 रुपये का टिकट लगता है.


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