(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bhind: प्रशासन की खुली पोल, इस गांव में आज तक नहीं बना मुक्तिधाम, खेत में करना पड़ रहा अंतिम संस्कार
MP News: जिले में 6 महीने पहले भी इसी तरह की तस्वीरें सामने आई थीं, क्योंकि गांव के सरकारी जमीन पर दबंगों का कब्जा है. इससे पहले भी जिला पंचायत सीईओ और दो पंचायतों के सचिवों को निलंबित किया गया था.
Madhya Pradesh News: किसी को मरने के बाद भी दो गज जमीन ना मिले, इंसानियत के लिए इससे बड़ा मज़ाक और क्या होगा. ऐसा ही वाक्या भिंड जिले में एक बार फिर देखने को मिल रहा है. देश भर में लाखों करोड़ों खर्च कर बड़े-बड़े मुक्तिधाम बनवाये जाते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में इन्ही मुक्तिधाम के अभाव में कभी खुले खेतों में तो कभी सड़क पर अंतिम संस्कार की तस्वीरें देखने को मिल जाती है. मुद्दा मीडिया में जाये तो प्रशासन हड़बड़ा कर जल्द मुक्तिधाम बनवाने के दावे करता है, लेकिन प्रशासन के दावे धरातल दिन गुजरने के साथ ही धराशाही होते नजर आते हैं.
खेत में करना पड़ा अंतिम संस्कार
दरअसल पूरा मामला जिले के गोरमी क्षेत्र का है, जहां महदौली पंचायत के ग्राम बरका पुरा में रहने वाले विजय सिंह करोरिया की मृत्यु शनिवार को हार्ट अटैक से हो गई थी. चूंकि मृतक भोपाल विंध्याचल में कृषि विभाग के SADO के पद पर पदस्थ थे और इन दिनों अपने गांव आए हुए थे. ऐसे में परिवार में उनका अंतिम संस्कार रविवार को गांव में ही करने का फैसला लिया गया.
बड़ी समस्या तब सामने आयी जब पता चला कि गांव में आजादी से अब तक मुक्तिधाम का निर्माण ही नहीं किया गया. ऐसे मजबूरन परिवारजनों ने अपने ही खेत में खड़ी फसल नष्ठ करते हुए चिता के लिए जगह बनाई. परिजन ने मुक्तिधाम के अभाव में खुले आसमान के नीचे शव का अंतिम संस्कार किया.
वहीं पीड़ित परिवार से बात करने पर मृतक के बेटे अभिषेक ने बताया कि इस गांव में अब तक मुक्तिधाम नहीं है, ये बहुत दुःखद है. अपने पिता को शमशान तक भी नहीं ले जा सके आज जब दुनिया विकास की बात करती है तब ग्रामीण क्षेत्रों में ये हाल है. अभिषेक कहते हैं कि कम से कम हर व्यक्ति को मरने के बाद मुक्तिधाम में जलाने की व्यवस्था तो होनी ही चाहिए. इसलिए उनका परिवार प्रशासन से जल्द मुक्तिधाम बनवाने की गुहार लगा रहा है.
नहीं सुन रहा प्रशासन
वहीं गांव के ही रहने वाले पवन प्रजापति का कहना है कि गांव में आज तक लोग खुले आसमान के नीचे ही अपनों का अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं. कई बार इस सम्बंध में प्रशासन को अवगत कराया भी गया. खुद तीन साल पहले उनके दादाजी की मृत्यु के बाद वे परिवार के साथ तत्कालीन भिंड कलेक्टर के पास गए थे और समस्या बताई. वहां कोरे आश्वासन के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा.
उन्होंने अपने क्षेत्रीय विधायक और मंत्री ओपीएस भदौरिया से भी तीन बार गुहार लगायी, लेकिन आज भी मुक्तिधाम बनवाने के लिए किसी ने प्रयास नहीं किए. तीन साल में भिंड कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ और मंत्री ओपीएस भदौरिया से तीन-तीन बार गांव में शांतिधाम बनवाने का आवेदन कर चुके हैं. इसके बावजूद हर कोई गोलमोल बातें कर चलता कर देता है. उन्होंने कहा कि ऐसे में अब वह मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाने की सोच रहे हैं.
सरकारी जमीन पर दबंगों का कब्जा
गांव के सरपंचपति और प्रतिनिधि गिर्राज व्यास का कहना था कि वे तीन महीने पहले ही सरपंच बने हैं. गांव में आज तक मुक्तिधाम बना ही नहीं, पहले के सरपंच ने भी इसके लिए प्रयास नहीं किए. गांव की और से मांग उठ रही है, इसलिए एक प्रस्ताव बनाया है जिसे जल्द प्रशासन और शासन को भेजेंगे. सरपंच पति का कहना था कि गांव में सरकारी जमीन नहीं है, इस समस्या के चलते भी मुक्तिधाम का अभाव बना हुआ है. हालांकि ग्रामीण पवन ने उनकी बात का खंडन करते हुए बताया कि गांव में सरकारी जमीन है, लेकिन उस पर दबंगों का कब्जा है. ऐसे में सरपंच ने झूठ क्यों कहा ये संदेहास्पद है.
इससे पहले भी ऐसी तस्वीरें आई थी
जिले में 6 महीने पहले भी मानपुरा और अजनॉल गांव में भी इसी तरह की तस्वीरें सामने आयी थी. इसके बाद खुद जिला पंचायत सीईओ जेके जैन ने दो पंचायतों के सचिवों पर कार्रवाई करते हुए निलंबित किया था. साथ ही 1 नवम्बर तक पूरे जिले के सभी ग्रामों में अनिवार्य रूप से मुक्तिधाम बनाये जाने के आदेश जारी किए थे. इसके बावजूद महदौली ग्राम पंचायत के गांव बरका पुरा में कृषि विभाग के एसएडीओ विजय सिंह के अंतिम संस्कार की तस्वीरों ने उन आदेशों की हकीकत सामने रख दी.
पूरे मामले को लेकर जब खुद जिला पंचायत सीईओ जेके जैन से फोन पर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि सोमवार को संबंधित पंचायत के सचिव पर कार्रवाई की जाएगी. जब तीन महीने पहले आदेश जारी किए गए थे कि कोई भी गांव नहीं बचना चाहिए जहां मुक्तिधाम ना हो वहां जरूर बना दें. इसके लिए अभियान भी चलाया गया था. अधिकांश जगह मुक्तिधाम बना भी दिये गये, फिर भी यह स्थिति क्यों निर्मित हुई, इसके लिए सचिव जिम्मेदार होगा, तो उसपर कड़ी कार्रवाई करेंगे.
गौरतलब है कि छह माह पहले दो से-तीन पंचायतों में बुजुर्गों के अंतिम संस्कार खुले खेत त्रिपाल अथवा टीन के चादर तान कर या फिर सड़क किनारे अंतिम संस्कार किए जाने की तस्वीरें सामने आयी थी. मीडिया ने खबर दिखाई तो आनन फानन में सचिवों पर कार्रवाई हुई और पूरे जिले में दो महीने में मुक्तिधाम बनाने के दावे करते हुए जिला पंचायत सीईओ ने आदेश जारी कर दिए थे. हालांकि आज तक मुक्तिधाम तो तैयार नहीं हो सके.