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Bhopal: आदिवासियों की आस्था का केंद्र है 'गिन्नौरगढ़ किला', सरकार ने क्यों कर रखा है ताले में बंद? कांग्रेस ने उठाया सवाल

Ginnorgarh Fort: कांग्रेस नेता अब्बास हफीज का कहना है कि बीजेपी सरकार ने किले पर ताला लगा दिया और आदिवासियों को यहां आने से रोक दिया. अगर उन्हें इसके लिए काम किया होता तो किले का जीर्णोद्धार करा देते.

Bhopal News: मध्य प्रदेश के आदिवासी वोटरों को साधने के लिए एक साल पहले सीएम शिवराज (Shivraj Singh Chouhan) की सरकार ने राजधानी भोपाल स्थित हबीब गंज स्टेशन का नामांकरण किया था. इसका नाम हबीबगंज से बदलकर 'आदिवासी गोंड रानी कमलापति' (Rani Kamlapati) के नाम पर रखा गया था. बकायादा इस स्टेशन का नवनिर्माण किया गया, जो कि देखने के काबिल है. रानी कमलापति स्टेशन का लोकार्पण करने के लिए ठीक एक साल पहले ही 15 नवंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र (PM Narendra Modi) मोदी आए थे. अब विडंबना यह है कि रानी कमलापति के नाम से भोपाल के स्टेशन को तो संवार दिया गया, लेकिन जहां रानी कमलापति का महल था वह आज भी खंडहर पड़ा है और ताले में कैद है.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा के रेहटी क्षेत्र में यह गिन्नौरगढ़ का किला (Ginnorgarh Fort) है. यह आदिवासियों की आस्था का केंद्र है. अपनी आस्था से जुड़े इस किले में आदिवासी समाज के लोग हर अमावस्या और पूर्णिमा पर यहां आते थे, लेकिन शासन ने किले की तालाबंदी कर दी और आदिवासियों को यहां आने से रोक दिया. इससे आदिवासियों की आस्था को ठेस पहुंची है.

यह भी पढ़ें: MP News: आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रदेश में लागू होने जा रहा PESA Act, राष्ट्रपति मुर्मू करेंगी घोषणा

13वीं सदी में गोंड राजा उदय वर्धन ने कराया था निर्माण
इतिहास बताता है कि गिन्नौरगढ़ के किले का निर्माण 13वीं सदी में गोंड राजा उदय वर्धन ने कराया था. गोंड साम्राज्य सीहोर जिले के गिन्नौरगढ़ से लेकर वर्तमान भोपाल और होशंगाबाद तक के क्षेत्र में माना जाता है. इस रियासत की अंतिम उत्तराधिकारी शासक के रूप में रानी कमलापति ही रही हैं. बताया जाता है कि गिन्नौरगढ़ किले से भोजपुर के शिव मंदिर तक एक सुरंग भी बनी है, जिसके द्वारा रानी कमलापति भगवान शिव का हर सोमवार को अभिषेक करने जाती थीं.
 
गिन्नौरगढ़ की भव्यता
गिन्नौरगढ़ के किले में सुंदर बावड़ी, इत्रदान और बादल महल नाम की भव्य इमारते हैं. इतिहासकार बताते हैं कि इस किले के नीचे एक गुफा है और इसी गुफा में ठंडे पानी का एक जलाशय है. गिन्नौरगढ़ के किले को अगर हम तीन भागों में बांटकर देखें तो पहला भाग तीन मील दूर तक का है, जो घेराबंदी के नाम से जाना जाता है. दूसरा भाग दो मील दूर है, जहां सदियों पूर्व आबादी क्षेत्र था और तीसरा भाग खुद गिन्नौरगढ़ का किला है. इस किले के मुख्य द्वार के पास एक भव्य महल बना हुआ है, जिसे रानी महल के नाम से जाना जाता है.

कांग्रेस ने लगाए बीजेपी सरकार पर आरोप
अब्बास हफीज कांग्रेस प्रवक्ता ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा भारतीय जनता पार्टी के साथ परेशानी यह है कि वह कोई काम नहीं करन चाहती. जो बनी बनाई चीजें हैं, उनका नाम परिवर्तन कर देना है. यही काम स्टेशन का किया. वाकई में आदिवासी वर्गों के लिए काम किया होता तो शायद गिन्नौरगढ़ के किले का अब तक जीर्णोद्धार हो जाता. सैलानी किले को देखने आते, लेकिन उसे बंद कर कर के रखा है और किसी की एंट्री तक नहीं है. कांग्रेस के कार्यकर्ता देखने गए थे तो उनको तक अंदर नहीं जाने दिया गया, क्योंकि सच सामने आ जाता. 

कांग्रेस नेता ने कहा कि 20 साल की शिवराज सरकार 20 साल के अंदर गिन्नौरगढ़ के किले को सही नहीं करा पाई और आदिवासियों को साधने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करती है. आदिवासी वर्ग इनकी बातें समझ रहा है. आदिवासी जानता है कि बीजेपी की दिखावे की घोषणाएं हैं, जो कभी पूरी नहीं होने वाली है. अब्बास हफीज ने कहा कि बीजेपी सिर्फ उतना ही काम कर सकती है कि जगहों के नाम बदल दिए जाएं. इससे बेहतर है कि कोई काम भी करिए, जिसको दुनिया याद रखे. उनका कहना है कि जब कांग्रेस की सरकार आएगी, तो किले का तत्काल रूप से जीर्णोद्धार करवाएंगे और जनता के लिए उसको खोलेंगे भी.

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