Bhopal News: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) से दिल को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक बेटा जिंदगी की जंग लड़ रहा है और उसे बचाने के लिए मां अदालती लड़ाई लड़ रही है. दरअसल बीमार बेटे को बचाने के लिए मां अपनी किडनी देना चाहती है, लेकिन निजी अस्पताल के अड़ियल रवैये के चलते ये हो नहीं पा रहा था. इसलिए उस मां को अदालत की शरण लेनी पड़ी. अब मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि अपनी किडनी दान करने के लिए महिला को अनुमति देने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए.


हाईकोर्ट ने दिए ये निर्देश


हाईकोर्ट के जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव की सिंगल बेंच ने भोपाल के निजी अस्पताल को निर्देश दिए है कि सभी खानापूर्ति कर प्रकरण तत्काल अंगदान के लिए अधिकृत समिति को भेजें. समिति जल्द से जल्द इस पर विचार करे, क्योंकि मामला याचिकाकर्ता के पुत्र की जिंदगी से जुड़ा है. बता दें कि ग्वालियर जिले की निवासी मीना देवी मिश्रा की ओर से ये याचिका दायर की गई थी.


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ये है पूरा मामला


याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मीना देवी मिश्रा के 35 वर्षीय पुत्र की दोनों किडनियां खराब हैं. वो भोपाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती है और डायलिसिस के सहारे जिंदा है. वो अपने पुत्र को अपनी किडनी दान कर उसकी जिंदगी बचाना चाहती हैं.कोर्ट को बताया गया कि ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशूज एक्ट के तहत गठित ऑथराइजेशन समिति से इसके लिए अनुमति जरूरी होती है. उन्होंने इसके लिए आवेदन दिया, लेकिन अस्पताल प्रबन्धन ने 20 दिसम्बर 2021 को उनका आवेदन ऑथराइजेशन समिति को अनुमति के लिए भेजने से इनकार कर दिया. इसकी वजह से उनके पुत्र को अब तक किडनी प्रत्यारोपण नहीं किया जा सका.सुनवाई के बाद कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर निजी अस्पताल को जल्द से जल्द प्रकरण समिति याचिकाकर्ता की प्रार्थना पर विचार कर फैसला ले.


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