MP Politics News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनीति दल पार्टी में कई फेरबदल कर रहे हैं. इस कड़ी में मध्य प्रदेश बीजेपी (BJP) के संगठन महामंत्री पद पर नियुक्त किए गए हितानंद शर्मा (Hitanand Sharma) के सामने खुद को साबित करने के लिए बड़ी चुनौती का पहाड़ सामने है. बीते डेढ़ साल से हितानंद शर्मा संगठन महामंत्री के रूप में काम कर रहे हैं. इस कारण संगठन और सत्ता के समीकरणों को समझने में आसानी रहेगी, लेकिन फिर भी अब संगठन महामंत्री के तौर पर निर्णय सीधे होंगे. इसके लिए नफे-नुकसान की जवाबदेही हितानंद शर्मा के हिस्से आएगी.

 

ऐसे में हालात सोच समझ कर चलने के हैं. वजह यह है कि मार्च 2020 में हुए सत्ता परिवर्तन के कारण 2023 के चुनाव में लंबे समय बाद सियासी परिदृश्य लगभग कठिन होगा. इसमें टिकटों के फैसलों से लेकर संतुलन के समीकरण तक पेचीदा रहने वाले हैं. संगठन विस्तार की चुनौती हितानंद शर्मा के सामने है, क्योंकि कोरोना काल के बावजूद संगठन ने कई बड़े लक्ष्य सामने रखे हैं. इनमें बूथ स्तर तक और विस्तार डिजिटलीकरण के साथ-साथ 10% वोट प्रतिशत बढ़ाना प्रमुख है. आने वाले समय में निकाय और पंचायत चुनाव भी होने हैं.

 

सिंधिया खेमे के संतुलन को बनाए रखना भी है एक चुनौती

सुहास भगत पीढ़ी परिवर्तन की बयार में युवा जोश के साथ वरिष्ठों के आक्रोश को संतुलित करते थे. अब हितानंद शर्मा को हाशिये पर धकेले जा रहे वरिष्ठ नेताओं को संभालना होगा. हितानंद शर्मा को नई पुरानी टीम के बीच अपनी टीम बनानी होगी. प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने संगठन में नई टीम खड़ी कर दी है. इसी बीच पुरानी टीम के नेता भी हैं, जिनमें से कुछ हाशिये पर हैं. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का खेमा बड़ा ध्रुव है. सिंधिया की ताकत भोपाल से दिल्ली तक असर दिखाती है. ऐसे में हितानंद शर्मा के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के संतुलन को बनाए रखना और इस खेमें के खिलाफ उपजते आक्रोश को संभालना भी चुनौतीपूर्ण रहेगा.

 

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