जबलपुर: नगरीय निकाय चुनाव (Urban Body Election) में वार्ड प्रत्याशियों के टिकट की घोषणा के बाद अब राजनीतिक दलों के आगे बागियों से निपटना बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि नाम वापसी के पहले राजनीतिक दल कोशिश कर रहे हैं कि नाराज कार्यकर्ताओं को किसी भी तरह मनाया जाए. इसके लिए कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) दोनों ने अपनी-अपनी रणनीतियां बनाई है. यहां बता दें कि जबलपुर (Jabalpur) में दोनों ही दलों से एक दर्जन से ज्यादा बागी कार्यकर्ता फिलहाल ताल ठोंक रहे हैं.


सोशल मीडिया पर भड़ास निकाल रहे हैं बागी


कांग्रेस हो या बीजेपी इन दिनों दोनों ही पार्टियां चुनाव प्रचार से ज्यादा बागी हुए कार्यकर्ताओं को मनाने में जुटी हुई हैं. नगरीय निकाय चुनाव में वार्ड प्रत्याशियों की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों के नाराज कार्यकर्ता खुलकर अपना विरोध जता रहे हैं. कोई आलाकमान के सामने नाराजगी जता रहा है तो कोई सोशल मीडिया पर भड़ास निकाल रहा है.


पहले हम बात करते हैं कांग्रेस पार्टी की तो जबलपुर के 79 वार्डों में कांग्रेस प्रत्याशियों की घोषणा के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जमकर नाराजगी है. नाराज कार्यकर्ता महेश पटेल का कहना है कि पार्टी के अंदर परिवारवाद और पैसा जमकर चल रहा है. जमीनी स्तर पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है. उन्होंने कहा कि इसका खमियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है. वहीं पूर्व नगर कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश यादव का कहना है कि नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए डैमेज कंट्रोल समिति का गठन किया गया है. आज नाम वापसी के आखिरी दिन तक उन्हें मना लिया जाएगा और बागी होकर फॉर्म भरने वाले कार्यकर्ता अपना नाम वापस ले लेंगे.


कैसे मनाए जा रहे हैं बागी 


इधर बीजेपी भी नाराज कार्यकर्ताओं से निपटने के लिए खास तरह की रणनीति बना रही है, क्योंकि बीजेपी में कांग्रेस की अपेक्षा ज्यादा टिकट के दावेदार थे. ऐसे में बीजेपी टिकट न मिलने से नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए आला नेताओं का सहारा ले रही है किसी नाराज कार्यकर्ता से प्रदेश अध्यक्ष की बात कराई जा रही है तो कोई मुख्यमंत्री से बात कराने में जुटा हुआ है. नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए आला नेताओं ने मैदान संभाल रखा है. विधायक अशोक रोहाणी का कहना है कि बीजेपी में हर वार्ड में अधिक योग्य उम्मीदवार थे. इसी वजह से कहीं-कहीं नाराजगी हो सकती है, लेकिन उन्हें मना लिया जाएगा.


कुल मिलाकर कहा जाए तो राजनीतिक दल किसी भी परिस्थिति में अपने अधिकृत प्रत्याशी के विरोध में किसी बागी की चुनौती नहीं आने देना चाहते हैं.इससे पार्टी को ही ज्यादा नुकसान होगा. इसलिए कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही दल नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने में जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं.


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