Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश (MP) में कांग्रेस (Congress) की छोड़िए अब बीजेपी के विधायक (BJP MLA) भी नगरीय निकाय चुनाव (MP Nagariy Nikar Chunav 2022) की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं. मैहर (Maihar) से बीजेपी विधायक नारायण प्रसाद त्रिपाठी (BJP MLA Narayan Prasad Tripathi) ने आरोप लगाया है कि नगर पालिका के चुनाव (Maihar Nagar Palika Chunav) में अधिकारी-कर्मचारी बीजेपी (BJP) की मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "मेरा बीजेपी से विरोध नहीं है. मैं बीजेपी का एमएलए हूं लेकिन यह स्थिति अच्छी नही है. इससे तकलीफ होती है, इसे बंद होना चाहिए."


मैहर नगर पालिका के लिए बुधवार को हुए मतदान के दौरान बीजेपी विधायक नारायण प्रसाद त्रिपाठी ने चुनाव की निष्पक्षता पर उंगलियां उठाते हुए निर्वाचन आयोग को भी धिक्कारा. उन्होंने वोट के लिए शराब, कपड़े और रुपये बांटने की मैहर नगर पालिका क्षेत्र में हुई घटनाओं का जिक्र किया और कहा कि कानून और सिस्टम सिर्फ गरीब प्रत्याशियों के लिए हैं, अमीरों के लिए नहीं.




बीजेपी विधायक ने आगे यह कहा


विधायक त्रिपाठी ने कहा कि अब तो चुनाव कराने ही नहीं चाहिए. जिस तरह सदन में हार की जीत हुई, उसी तरह का अंधा सिस्टम लागू कर देना चाहिए. मैहर में अधिकारी-कर्मचारी दल विशेष का प्रचार प्रसार कर रहे हैं. छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी तक बीजेपी को वोट दिलाते दिख रहे हैं.


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विधायक ने क्यों कहा- जीत का प्रमाण पत्र तो फिक्स है


विधायक नारायण प्रसाद त्रिपाठी ने प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जिस तरह सरकारें दो मिनट में गिराई और बनाई जा रही हैं, उसी तरह का सिस्टम पंचायतों और नगरीय निकायों में भी लागू है. प्रत्याशी चुनाव लड़ते रहेंगे और किसी दल विशेष को जिता दिया जाएगा. ऐसा न हो, अगर मैहर में ऐसा हुआ तो बहुत बुरा होगा. ऐसी निर्वाचन प्रक्रिया में हिंदुस्तान-मध्य प्रदेश की जनता को भाग ही नहीं लेना चाहिए. जब जीत का प्रमाण पत्र देना फिक्स है तो इतने बड़े सिस्टम को चलाने और चुनाव कराने का कोई औचित्य ही नहीं है.


बीजेपी विधायक ने निर्वाचन आयोग पर लगाए ये आरोप


उन्होंने कहा कि मैहर के चुनाव में शराब, पैसे और साड़ियां बांटे जाने की घटनाओं के वीडियो और अन्य प्रमाण सामने आने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई. जब कोई गरीब प्रत्याशी ऐसे मामले पकड़ता है तो कोई सुनवाई नहीं होती है. धनाढ्य प्रत्याशी शराब, पैसे, कपड़े बांटे और प्रशासन उनका सहयोग करे तो निर्वाचन आयोग को भी धिक्कार है.


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