Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश (MP) में स्वास्थ्य विभाग (Health Department) तमाम जिलों में इस समय छोटे बच्चों की सेहत (Health) से जुड़ा दस्तक अभियान (Dastak campaign) चला रहा है. एएनएम (ANM), आशा (Asha) और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (Anganwadi Worker) दल बनाकर घर-घर पहुंचकर दस्तक अभियान संचालित कर रहे हैं. अभियान के अंतर्गत पांच साल तक की आयु के बच्चों को घर पर ही स्वास्थ्य सुविधाएं (Health Facilities) प्रदान की जा रही हैं. सीहोर जिले में पांच वर्ष की आयु तक के जिन बच्चों का हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) सात ग्राम से कम है, दस्तक अभियान के तहत उन्हें ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood Transfusion) किया जा रहा है. अभियान की शुरुआत से अब तक 23 एनीमिक बच्चों (Anemic Children) को ब्लड चढ़ाया जा चुका है.
सीहोर जिले के सिविल अस्पताल आष्टा में गुरुवार को छह एनीमिक बच्चों को ब्लड चढ़ाया गया. वहीं जिला चिकित्सालय सीहोर की ब्लड बैंक यूनिट में चार बच्चों, इछावर के पांच और आष्टा के आठ बच्चों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया जा चुका है. इस अभियान के तहत पांच वर्ष तक की आयु के 1,59,386 बच्चों को विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. आष्टा विकासखंड में 43,728 बच्चों को स्वास्थ्य सेवाएं घर पर दी जाएंगी. वहीं, बुधनी में 18,146, इछावर में 20,074, नसरुल्लागंज में 26,234, श्यामपुर में 37,659 और सीहोर शहरी क्षेत्र में 13,545 बच्चों को दस्तक अभियान के दौरान स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
जिला मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी ने दी यह जानकारी
जिला मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुधीर कुमार डेहरिया ने बताया, ''पांच वर्ष तक के बच्चों में प्रमुख बाल्यकालीन बीमारियों की सक्रिय पहचान एवं प्रबंधन के लिए दस्तक अभियान की शुरुआत 18 जुलाई से की गई है. दस्तक अभियान 31 अगस्त तक संचालित होगा. अभियान की शत-प्रतिशत सफलता के लिए मैदानी कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है.''
सीएमएचओ डॉ. सुधीर डेहरिया ने दस्तक अभियान के संबंध में आगे कहा, ''दस्तक दल द्वारा समुदाय में बीमार नवजातों और बच्चों की पहचान प्रबंधन एवं रेफरल सहित बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान एवं प्रबंधन-रेफरल, गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान रेफरल एवं प्रबंधन, छह माह से पांच वर्ष तक के बच्चों में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग, बाल्यकालीन दस्तरोग, नियंत्रण के लिए ओआरएस एवं जिंक उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरूकता और प्रत्येक घर में ओआरएस पहुंचाना, माह से 5 वर्ष तक के बच्चों के समस्त बच्चों को विटामिन ए अनुपूरण.बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों एवं वृद्धि विलंब की पहचान.समुचित शिशु एवं बाल आहारपूर्ति संबंधी जानकारी समुदाय को देना, एसएनसीयू और एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग और फॉलोअप को प्रोत्साहन और गृहभेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुए बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी अभियान के दौरान दी जा रही है.''
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