Burhanpur News: केंद्र और राज्य की सरकारें बढ़ती आबादी पर ब्रेक लगाने कई कोशिशें कर रही हैं, लेकिन उसके नुमाइंदे अपनी निष्क्रियता से इन अभियानों को अंजाम देने में नाकाम नजर आते हैं. इसी तरह सरकारी अधिकारियों के नाकामी का एक मामला मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में देखने को मिल रहा है, जहां नसबंदी शिविर में आई महिलाओं को लापरवाही और अव्यवस्थाओं से दो चार होना पड़ रहा है. अस्पताल प्रशासन की लापरवाही आम लोगों पर भारी पड़ती नजर आ रही है.
समूचे प्रदेश की तरह इंदौर के नजदीकी जिले बुरहानपुर के अस्पताल में सप्ताह में नसबंदी शिविर का आयोजन किया जाता रहा है. इस शिविर में सुबह 10 बजे से रजिस्ट्रेशन शुरू होता है. हालांकि रजिस्ट्रेशन होने के बाद घंटों तक महिलाओं को डॉक्टर के इंतजार में भटकना पड़ता है, इससे महिलाओं का काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. महिला के साथ आए परिवार के लोगों को बच्चों को संभालने के लिए पूरे अस्पताल में भटकना पड़ता है. अस्पताल में बच्चों के लिए कोई झूला या समुचित व्यवस्था नहीं होने से परिजन को काफी दिक्कत होती है. परिजन बच्चों को संभालने के लिए अस्पताल के परिसर में बने रेलिंग या मौके पर मौजूद पेड़ों पर कपड़े से झूला बनाकर संभालने को मजबूर हैं.
परजनों ने क्या कहा?
ये भले ज्यादा रिस्की नहीं लगता हो, लेकिन इससे बच्चों को गंभीर चोट लग सकती है. ये समस्या कोई नई नहीं है. हर बार की इसी तरह की समस्या से महिलाओं को जूझना पड़ता है. कई बार नसबंदी शिविर में महिलाओं को देर रात तक भी रुकवाया जाता है. इसलिए परिजनों को छोटे-छोटे बच्चों को लेकर इधर उधर भटकना पड़ता है. मौके पर आई महिलाओं के परिजनों ने बताया की आशा और उषा कार्यकर्ता सुबह से ही गांव-गांव से अपना टारगेट पूरा करने के लिए महिलाओं को जिला अस्पताल में लेकर पहुंचती हैं, लेकिन नसबंदी कराने आई महिलाओं के बच्चों और परिजनों को सुविधाओं के अभाव के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
अस्पताल की लापरवाही से परिजन परेशान
यह समस्या इस अस्पताल में लगातार बनी हुई है, जिम्मेदारों ने भी इस समस्या को दूर करने को लेकर आंख और कान बंद कर लिया है. नसबंदी के लिए आई महिलाओं के लिए अस्पताल प्रबंधन ना तो पानी की व्यवस्ता करता है और ना ही जलपान या भोजन की व्यवस्था करता है. डॉक्टरों के लेटलतीफी के कारण परिजनों और नसबंदी के लिए आई महिलाओं को घंटों भूखे रहना पड़ता है. परिवार नियोजन नसबंदी शिविर में इंदौर से विशेष डॉक्टर को बुलाया जाता है और यह नसबंदी शिविर जिले में तीन स्थानों पर लगाये जाते हैं. इसमे शाहपुर, खकनार और बुरहानपुर भी शामिल हैं.
अस्पताल प्रशासन ने क्या कहा?
इस संबंध में जब अस्पताल प्रबंधन से पूछा गया तो उन्होंने समस्याओं को हल करने के लिए वाजिब दिलासा देने की बजाय पीछा छुड़ाने वाला बयान दिया. संबंधित अस्पताल के प्रबंधक डीएस चौहान ने कहा कि हमने अपने स्तर पर समुचित व्यवस्थाएं की हैं. बच्चों के लिए झूलेघर के इंतजाम भी हैं. हालांकि जो शिकायत है उस पर व्यवस्थाएं और सुचारु करने के इंतजाम कर रहे हैं.
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