एमपी न्यूज: महंगाई की मार कम करने की सरकार की तमाम कोशिशें और दावे धरातल पर असफल ही नजर आ रहे हैं. महंगाई के कारण कृषि उपज मंडियों में मिलने वाली खाद्य सामग्रियां या तो महंगी हो गई हैं या फिर बंद कर दी गई हैं. इस वजह से मजदूरों और किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.मध्य प्रदेश के उज्जैन में सरकार ने किसान रसोईघर सुविधा शुरू की थी. इसके तहत हम्माल, तुलावटी और किसानों को कृषि उपज मंडी की भोजनशला में सस्ती दरों पर भोजन मुहैया कराया जा रहा था. यह व्यवस्था पिछले 1 माह से बंद है. इसकी वजह महंगाई की मार है. हम्माल राधेश्याम बताते हैं कि 1 महीने से कृषि उपज मंडी में 5 रुपये में मिलने वाले भोजन की व्यवस्था बंद हो गई है. उन्होंने बताया कि पूर्व में भी 5 रुपये की जगह 20 रुपये लिए जाते थे, लेकिन 20 रुपये की राशि में भी अब भोजन नहीं मिल पा रहा है.
क्या कहना है किसानों का
बडनगर से आए किसान गोविंद सिंह के मुताबिक कृषि उपज मंडी में फसल लेकर आने वाले किसानों को भोजन की अच्छी सुविधा दी जा रही थी, मगर यह सुविधा बंद कर दी गई है. जब किसान फसल लेकर आता है तो उसे यह पता नहीं होता है कि वह कब फसल बेच कर वापस घर लौट पाएगा, इसलिए मंडी में सस्ती दरों पर भोजन की सुविधा अति आवश्यक है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. कृषि उपज मंडी के अधिकारी महेंद्र जैन बताते हैं कि भोजन व्यवस्था शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं. खाद्य सामग्री महंगी होने की कारण कारण एजेंसी ने काम करना बंद कर दिया है. किसानों, हम्माम और तुलावटियों की सुविधा के लिए व्यवस्था फिर शुरू करने की कोशिश जारी है.
क्या कहना है कलेक्टर का
हीं उज्जैन के कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि पुरानी एजेंसी ने काम छोड़ दिया है. अब नई एजेंसी के लिए टेंडर निकाले जा रहे हैं, जो भी एजेंसी कार्य करेगी उसे काम सौंप दिया जाएगा. अभी किसानों को थोड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है लेकिन नई व्यवस्था जल्द ही शुरू करवा दी जाएगी.
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