उज्जैन: मध्य प्रदेश के कई बंद पड़ी मिलों की गगनचुंबी चिमनी से खतरे की घंटी सुनाई दे रही है. बारिश का मौसम सिर पर है और ऐसी स्थिति में यदि समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो चिमनी बड़े हादसे का कारण भी बन सकती है. 


उज्जैन की कितनी मिलें बंद हैं


आज हम आपको मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में कई दशक से बंद पड़ी मिलों की चिमनियों से जुड़ी खबर बता रहे हैं. उज्जैन में विनोद मिल, विमल मिल, नजर अली मिल, हीरा मिल सहित कई ऐसे मिल थे जिनकी चिमनी से निकलने वाले धुएं से हजारों मजदूरों के घर पर चूल्हा जलता था, लेकिन कई दशक पहले से मिल बंद हो चुके हैं. अब चिमनी ही इन मिलों की मौजूदगी के गवाह के रूप में मौजूद हैं, मगर चिमनी के रखरखाव नहीं होने की वजह से इनकी हालत जर्जर हो रही है. जहां पर मिलें संचालित होती थीं, वहां पर फिलहाल नगर निगम ने स्पोर्ट सपोर्ट एरिना बना दिया है. यहां पर स्विमिंग पूल में तैराकी करने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. मिल की चिमनी के साथ-साथ कुछ खंडहर पड़ी बहुमंजिला इमारतें भी लोगों के सिर पर खतरा बनकर मंडरा रही है.


निजातपुरा में रहने वाले अल्केश शर्मा बताते हैं कि जब आंधी तूफान चलता है और तेज बारिश होती है तो यह डर बना रहता है कि कहीं चिमनी गिर ना जाए. पहले सीमेंट और अन्य केमिकल का इस्तेमाल भवन निर्माण में नहीं होता था. चूने से चिमनी का निर्माण किया गया है. ऐसी स्थिति में इनकी मजबूती का परीक्षण होना बेहद जरूरी है.


कलेक्टर ने कही यह बात


उज्जैन के कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि चिमनियों के परीक्षण के लिए नगर निगम को निर्देश जारी किए जा रहे हैं. यदि इमारत और चिमनी मजबूत निकली तो उसकी सुंदरता बढ़ाते हुए कुछ कदम उठाए जाएंगे और यदि मजबूती के परीक्षण में चिमनी या इमारत फेल हो गई तो उसे हटाने की कार्रवाई भी की जाएगी. 


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