MP Nagariy Nikay Chunav 2022: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के गृह जिले सीहोर (Sehore) के इछावर नगर (Ichhawar Nagar) में उनके बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान (Kartikey Singh Chouhan) ने रोड शो (Road Show) किया. कहा जाता है कि सीएम शिवराज खुद कभी इस जगह प्रचार करने नहीं आए.


प्रदेश में 13 जुलाई को नगरीय निकाय चुनाव (MP Urban Body Election 2022) के दूसरे चरण का मतदान (Second Phase Polling) होना बाकी है. कार्तिकेय चौहान इछावर नगर परिषद (Ichhawar Nagar Parishad) में किस्मत आजमा रहे बीजेपी पार्षद (BJP Councilor Candidates) उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने पहुंचे थे. 


सीएम के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान ने शनिवार को इछावर में बीजेपी पार्षद उम्मीदवारों के पक्ष में थाने से लेकर गजींबड तक रोड शो किया. रोड शो में इछावर नगर के नागरिक बहुत कम दिखाई दिए. रोड शो में ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र की जनता और बीजेपी कार्यकर्ता दिखे. इछावर में यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है.


कार्तिकेय चौहान ने रोड शो में यह कहा


रोड शो में कार्तिकेय चौहान ने कहा, ''कांग्रेस ने 70 साल राज किया, क्या विकास किया, कोई बता सकता है, इतिहास गवाह है कई साल राज करने के बाद भी कभी गरीबों का भला नहीं किया. मध्य प्रदेश में 15 महिने कांग्रेस की सरकार रही थी, बीजेपी सरकार की बुजुर्गों से लेकर बच्चों की पढा़ई तक तमाम जो योजनाएं थीं, वे बंद कर दी गई थीं लेकिन बीजेपी सरकार सरकार वापस बनी है जो दो इंजन की सरकार है, जो आपके विकास के लिए तत्पर है.''


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सीएम के इछावर न जाने के पीछे की वजह


वहीं, जिले के अन्य स्थानों जैसे कि आष्टा, बुधनी, नसरुल्लागंज और रेहटी क्षेत्रों में मुख्यमंत्री स्वयं चुनावी जनसभाएं और रोड शो कर रहे हैं. सीएम के इछावर न आने के पीछे मिथक को वजह माना जाता है. कहा जाता है कि इस जगह को लेकर मुख्यमंत्रियों के मन में हमेशा से डर बना रहा है.


इन मुख्यमंत्रियों को इछावर जाना पड़ा भारी!


इछावर नगर का अपना एक इतिहास रहा है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री इछावर नगर की धरती पर कदम रखता है, वह फिर कभी इस पद पर नहीं रहता है. इसके लिए 1961 में मध्य प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री रहे कैलाश नाथ काटजू से लेकर 2003 में सीएम बने दिग्विजय सिंह तक का उदाहरण दिया जाता है. ऐसा माना जाता है इछावर नगर का मिथक कई सत्तासीन मुख्यमंत्रियों के लिए भारी पड़ चुका है, इनमें वीरेंद्र कुमार सकलेचा, अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा और स्वयं दिग्विजय सिंह शामिल हैं.


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