MP News: मध्य प्रदेश में हिंदी में होगी एमबीबीएस की पढ़ाई, सीएम शिवराज सिंह बोले- 'ये नए युग की शुरुआत'
MP News: मध्य प्रदेश में हिन्दी भाषा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की शुरुआत होने से सरकार काफी उत्साहित है. सीएम शिवराज सिंह ने इसे एक नए युग की शुरुआत बताया.
MP Latest News: मध्यप्रदेश में अब एमबीबीएस और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिन्दी भाषा में भी का जा सकेगी. इसके साथ ही एमपी हिन्दी में मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा देने वाला पहला राज्य बन जाएगा. सरकार ने इन दोनों विषयों की किताबों का हिन्दी में अनुवाद कराया है. 16 अक्टूबर को गृहमंत्री अमित शाह इन किताबों का विमोचन करेंगे. राज्य सरकार इसे अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही रही है. सीएम शिवराज सिंह का कहना है कि कल से प्रदेश में एक नए युग की शुरुआत हो रही है.
शिवराज सिंह ने कही ये बात
मेडिकल और इंजीनियरिंग को हिन्दी भाषा में पढ़ाए जाने को लेकर हिन्दी मीडियम के छात्र काफी उत्साहित दिखाई दे रहे हैं तो वहीं सरकार भी इसे एक बड़ी पहल बता रही है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा "मध्य प्रदेश ने कई इतिहास रचे हैं, लेकिन कल के दिन एक नए युग का प्रारंभ हो रहा है. अपनी मातृभाषा हिंदी में मेडिकल की शिक्षा, इंजीनियरिंग और तकनीक की भी शिक्षा देने के काम का सबसे पहला क्रियान्वयन देश में कहीं हो रहा है तो मध्य प्रदेश में हो रहा है " शिवराज सिंह ने कहा कि "कल केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह आ रहे हैं. जो हिन्दी भाषा में मेडिकल की किताबों का विमोचन करेंगे. मेडिकल के छात्र अब हिन्दी में भी मेडिकल की पढ़ाई कर सकेंगे. ये एक क्रांतिकारी परिवार है. हमें अपनी मानसिकता बदलने की जरुरत है कि अंग्रेजी के बिना कोई पढ़ाई नहीं कर सकता है."
शिवराज सिंह ने कहा कि देश में मेडिकल की पढ़ाई अब मातृभाषा हिन्दी में की जा सकेगी. ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से हो रही है. राज्य के 97 डॉक्टरों की टीम ने 4 महीने दिन रात मेहनत कर इन किताबों का अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद किया है. उन्होंने कहा कि हम अंग्रेजी भाषा के विरोधी नहीं है लेकिन इस मानसिकता से निकलना जरूरी है कि अंग्रेजी के बिना काम नहीं हो सकता. कई बच्चे अक्सर अंग्रेजी न आने की वजह से मेडिकल की पढ़ाई छोड़ देते हैं.
मुख्यमंत्री ने चीन, रूस, जापान जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन देशों में कौन अंग्रेजी को पूछता है. बस हम ही अंग्रेजी के गुलाम हो रहे हैं.
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