Bhopal News: अपनी सरकार पर आरोप लगाने वाले बीजेपी विधायक से मिले CM शिवराज, हुई ये बातचीत
MP News: मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर से बीजेपी विधायक नारायण प्रसाद त्रिपाठी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ आरोप लगाया तो दूसरे दिन सीएम ने उन्हें तलब कर लिया. इस दौरान गृहमंत्री भी मौजूद रहे.
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश (MP) में अपनी ही सरकार (MP Govt) के खिलाफ बयान देने वाले मैहर विधानसभा से विधायक (Maihar MLA) नारायण प्रसाद त्रिपाठी (Narayan Prasad Tripathi) की शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) से मुलाकात हुई, इस मौके पर राज्य के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) भी मौजूद रहे. त्रिपाठी एक दिन पहले ही निकाय चुनाव (Nikay Chunav) संबंधी गड़बड़ी को लेकर अपनी सरकार और चुनाव आयोग (Election Commission) पर भड़के थे.
राष्ट्रपति चुनाव की तारीख करीब आ रही है और एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के लिए बीजेपी वोट जुटाने में लगी हुई है. इस बीच मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी का सरकार के खिलाफ बयान आया तो कई सवाल उठने लगे.
इसी क्रम में बीजेपी विधायक त्रिपाठी को भोपाल बुलाया गया और उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर अपनी बात कही. इस मौके पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी मौजूद रहे. नारायण त्रिपाठी ने साफ तौर पर कहा, ''पहली बार कोई आदिवासी वर्ग से राष्ट्रपति बनने जा रहा है, इस मामले में मेरा रुख स्पष्ट है, पार्टी की ओर से प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को ही मेरा वोट जाएगा.''
यह आरोप लगाया था नारायण त्रिपाठी ने
बता दें कि बीजेपी विधायक त्रिपाठी ने नगरीय निकायों और पंचायत चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का खुले तौर पर आरोप लगाया था और अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने का काम किया था. बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने आरोप लगाया था कि नगर पालिका के चुनाव में अधिकारी-कर्मचारी बीजेपी की मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा था, "मेरा बीजेपी से विरोध नहीं है. मैं बीजेपी का एमएलए हूं लेकिन यह स्थिति अच्छी नही है. इससे तकलीफ होती है, इसे बंद होना चाहिए."
विधायक ने चुनाव आयोग के लिए कही थी यह बात
बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा था कि मैहर के चुनाव में शराब, पैसे और साड़ियां बांटे जाने की घटनाओं के वीडियो और अन्य प्रमाण सामने आने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई. जब कोई गरीब प्रत्याशी ऐसे मामले पकड़ता है तो कोई सुनवाई नहीं होती है. धनाढ्य प्रत्याशी शराब, पैसे, कपड़े बांटे और प्रशासन उनका सहयोग करे तो निर्वाचन आयोग को भी धिक्कार है.
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