राघौगढ़: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के गढ़ राघौगढ़ नगर पालिका पर उसके अस्तित्व में आने के बाद से ही राजपरिवार के सदस्य या उनके चहेतों का ही कब्जा रहा है. यहां कांग्रेस (Congress) का ही अध्यक्ष बना है. लेकिन पिछले तीन दशक के इतिहास में शायद पहली बार कांग्रेस ने अपने पार्षदों की बाड़बंदी की गई है. जितने की जितनी खुशी कांग्रेस में है, उससे कहीं ज्यादा डर बीजेपी (BJP) से है. इस डर की वजह से कांग्रेस ने अपने वार्ड पार्षदों को दिल्ली भेज दिया है. हालांकि कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
पार्षदों के परिजनों ने कहा..
कांग्रेस पार्षदों का पता लगाने के लिए जब एबीपी न्यूज़ राघौगढ़ पहुंचा तो पता चला की कांग्रेस के सभी 16 वार्ड पार्षद शहर से बाहर गए हुए हैं. एबीपी न्यूज़ के कैमरे पर वार्ड क्रमांक 23 के पार्षदों के परिजनों ने दिल्ली जाने की बात कबूल की. वहीं वार्ड 16 कि पार्षद मौसम बाई के पति ने भी उनके बाहर जाने की बात कही है. वहीं एनएफएल के वार्ड नंबर 18 के पार्षद वीके पांडे के मकान नं 548 पर ताला लगा हुआ मिला.
राघौगढ़ का मुकाबला कैसा रहा
इस महीने हुए चुनाव में राघौगढ़ नगर पालिका के 24 वार्डों में से 16 वार्डों में कांग्रेस प्रत्याशी जीते हैं. बीजेपी को आठ वार्डों में सफलता मिली है. राघौगढ़ के 24 वार्डों के लिए 20 जनवरी को मतदान कराया गया था. इसकी मतगणना 23 जनवरी को कराई गई थी. इस चुनाव में 76 प्रतिशत मतदान हुआ था. यानी लगभग 34 हजार 294 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. इनमें से कांग्रेस प्रत्याशियों को 19 हजार 469 वोट मिले थे.
बीजेपी प्रत्याशियों को 12 हजार 547 वोट मिले थे. इस हिसाब से कांग्रेस ने 57 प्रतिशत और बीजेपी ने 37 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. राघौगढ़ में कांग्रेस की कमान पूर्व कैबिनेट मंत्री जयवर्धन सिंह और चाचौडा विधायक लक्ष्मण सिंह ने संभाली थी. बीजेपी की ओर से सिंधिया समर्थक कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया और उर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर मोर्चा संभाले हुए थे.
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