मध्य प्रदेश की चर्चित डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे इस्तीफा देना चाहती हैं सरकारी नौकरी से और राजनीति में आंना चाहती हैं. चुनाव लड़ना चाहती हैं, मगर मध्य प्रदेश की सरकार उनका इस्तीफा मंजूर नहीं कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि जब वह भोपाल आईं एक यात्रा लेकर तो उनके साथ काफी बदतमीजी की गई, कपड़े भी फाड़ दिए गए.
डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में कहा कि ये लोग नहीं चाहते हैं कि जो सर्व धर्म की विचारधारा है वह चले, वह पहले यह चाहते हैं कि जो कट्टरपंथी की विचारधारा है वह पूरे देश और प्रदेश के अंदर में जाए, इसलिए रोकने का काम कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया ''बाबा साहब की और संविधान की जो विचारधारा है इसको यह खत्म करना चाहते हैं. संविधान का गला घोंटना चाहते हैं, लोकतंत्र की हत्या करना चाहते हैं.''
'इस्तीफा देने के बाद भी प्रताड़ित जा रहा है'
उसने यह पूछा गया कि आपका इस्तीफा क्यों नहीं मंजूर किया जा रहा है, इस पर उन्होंने कहा ''मेरे मकान के उद्घाटन में सर्वधर्म प्रार्थना थी. जिसको रोकने काम उनलोगो ने किया. मुझे लिख कर दिया गया कि आप इस प्रोग्राम में किसी भी स्वरूप में नहीं जाएंगी. मैं सर्वधर्म विचारधारा के साथ चल रही थी, उसके कारण जो है मुझे रोका गया और अब इस्तीफा देने के बाद भी 3 महीने से प्रताड़ित किया जा रहा है, सिर्फ इसीलिए क्योंकि हम संविधान की बात करते हैं हम डॉ बाबासाहेब अंबेडकर की बात करते हैं, हम मानवतावादी बात करते हैं और यह कट्टरपंथी बात करते हैं.''
'बर्बरता से फाड़े कपड़े'
दलित होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बिल्कुल मैं दलित हूं और एक महिला हूं इस लिए भी. महिलाओं का दमन करने के लिए उनका मुंह दबाने के लिए उन्हें घर पर बैठाने के लिए यह कार्य मेरे साथ किया गया. डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के सामने बोर्ड ऑफिस में मध्य प्रदेश की राजधानी में जिस बर्बरता से मेरे कपड़े फाड़ने का काम पुलिस ने किया. वह यह संदेश देना चाहते हैं कि मध्य प्रदेश की महिलाएं राजनीति में ना आएं, मध्य प्रदेश की महिलाएं अपने अधिकारों की बात ना करें, जो बात करेगा उसकी अस्मिता को इस तरीके से पुलिस के गुंडों द्वारा लूटा जाएगा.''
'इसलिए मेरे साथ ही दुर्व्यवहार किया जा रहा है'
उनसे यह पूछा गया कि अगर आप बीजेपी से टिकट लेकर चुनाव लड़तीं तो सब कुछ आसान होता. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ''बिल्कुल सब कुछ आसान हो जाता, बीजेपी की पहली सूची में 39 उम्मीदवारों के जो नाम थे उसमें एक डॉक्टर का भी नाम था. एक ही दिन में टिकट भी मिल गया इस्तीफा भी दे दिए, पार्टी भी ज्वाइन कर लिया.'' उन्होंने कहा कि बीजेपी से लड़ना होता तो एक ही दिन में सब कुछ हो जाता. लेकिन हम क्योंकि उस कठोरपंथी विचारधारा के साथ नहीं है. इसलिए मेरे साथ ही दुर्व्यवहार किया जा रहा है.
ये नेताओं के चापलूसी करना चाहते हैं
उन्होंने कहा ''मेरा उद्देश्य है संवैधानिक अधिकारों को रक्षाकरना, जो मुझे मेरे संवैधानिक अधिकार नहीं मिले तो मैने त्यागपत्रदे दिया. मैं उस अधिकारियों को भी कहूंगी जो बीजेपी के एजेंट बने हुए हैं. वह अपनी नौकरी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर ले, लोकसेवा आयोग उनको नौकरी देती है, लोगों की सेवा करने के लिए, किसी के साथ अन्याय ना हो''
उन्होंने कहा कि इन लोगो को बीजेपी ज्वाइन कर लेना चाहिए और नौकरी का पद छोड़ देना चाहिए. मेरा उद्देश्य किसी कुर्सी पर जाने का नहीं है, हमारा उद्देश्य है कि लोकतंत्र बचा रहे हैं, संविधान बचा रहे हैं, लोगों की अधिकारों का रक्षा हो. यही हमारा उद्देश्य है और हम आगे भी इसी पर काम करेंगे.'
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