Nisha Bangre Arrest In Bhopal: डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे की न्याय यात्रा सोमवार को भोपाल पहुंच गई है. यहां डिप्टी कलेक्टर की न्याय यात्रा सीएम हाऊस के लिए बढ़ रही थी, कि बोर्ड ऑफिस चौराहा पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया. इस दौरान झूमाझटकी में डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के कपड़े फट गए. वहीं उनके हाथों में मौजूद संविधान का फोटो भी फट गया. भोपाल पुलिस अधीक्षक ने बताया कि उन्हें धारा 151 के तहत जेल भेजा गया है. अपने इस्तीफे की मांग को लेकर डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने बैतूल जिले के आमला से भोपाल तक की पैदल न्याय यात्रा शुरु की थी.
इस न्याय यात्रा के दौरान कई रातें निशा बांगरे ने खुले आसमान के नीचे ही बिताई हैं. सारणी में डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने मीडिया से चर्चा में बताया था कि न्याय यात्रा को रोकने के लिए उनके साथियों को धमकी दी जा रही है. गोली मारने सहित ट्रक और डंपर से कुचलने की धमकी दी जा रही है.
डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने बताया था कि उनके साथियों को न्याय यात्रा बंद करने की धमकी दी जा रहा है. निशा बांगरे ने मीडिया से चर्चा में बताया था कि उनके साथियों से कहा जा रहा है कि इस यात्रा को बंद कर दीजिए. नहीं तो क्या पता राजनीति में कब आपके ऊपर या आपके किसी साथी के ऊपर गोली चल जाए. या काई ट्रक डंपर आपको कुचल दें, आपको पता भी नहीं चलेगा.
335 किमी तक पदयात्रा
छतरपुर के लवकुश नगर की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने बैतूल जिले के आमला से पदयात्रा शुरु की थी. सोमवार को 9 अक्टूबर को न्याय यात्रा भोपाल पहुंच गई. आमला के बस स्टैंड से अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश और माता दुर्गा के दर्शन कर पदयात्रा शुरू की गई थी. निशा बांगरे अपने हाथ में भारत का संविधान और भागवत गीता लेकर न्याय यात्रा कर रही थीं. आमला से शुरु हुई यह यात्रा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह ग्राम जैत होते हुए भोपाल पहुंची है. डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे आमला से 335 किलोमीटर की दूरी तय कर भोपाल पहुंची है. लेकिन भोपाल में बोर्ड ऑफिस चौराहा पर ही पुलिस ने निशा बांगरे को रोक दिया. निशा बांगरे आगे बढ़ की जिद करने लगीं. इस दौरान उनकी पुलिस से झूमाझटकी हुई. इस झूमाझटकी में डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के कपड़े फट गए. साथ ही उनके हाथों में मौजूद संविधान का फोटो भी फट गया.
27 जून को दिया था त्यागपत्र
बता दें आमला में सर्व-धर्म शांति सम्मेलन में भाग लेने की अनुमति न देने के बाद निशा बांगरे ने 27 जून को अपने पद से त्यागपत्र दे दिय था, जिसे शासन द्वारा स्वीकार नहीं किया जा रहा है. निशा बांगरे का कहना है कि तरह-तरह के पेंच लगाकर उन्हें न्याय से वंचित किया जा रहा है. कोर्ट में भी गलत जानकारी प्रस्तुत की जा रही है. वहीं भोपाल पुलिस अधीक्षक महावीर सिंह मुजाल्दे ने मीडिया से चर्चा में बताया कि अभी वे गर्वमेंट जॉब में हैं. शासकीय सेवक होने के नाते उन्हें इस तरह का कृत्य नहीं करना था. आम रोड है, इतना व्यस्त है उस पर बैठ गईं. हमने उनसे पूछा कि आप 100-150 लोगों के साथ है, आपने रैली निकालने की अनुमति ली या नहीं. कोई अनुमति पेश न करते हुए हठधर्मिता दिखाते हुए वो रोड पर बैठ गईं.
भोपाल पुलिस अधीक्षक ने बताया कि हमने उन्हें समझाया कि आप अनुमति दिखाइए. अनुमति है तो आप मार्च कीजिए. उनके पास कोई अनुमति नहीं है. वे केवल डेढ़ दो महीने से अपनी मनमानी कर रही हैं. आज भी उन्हें समझाया गया था कि अनुमति लीजिए उसके बाद तब आप आगे बढि़ए. उन्हें धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया गया है. एसपी ने मीडिया से कहा कि आप सभी ने देखा कि किसी ने किसी के कोई कपड़े नहीं फाड़े हैं. आपके पास रिकार्डिंग हैं. कोई खुद अपने कपड़े फाड़ ले तो हम क्या करें. वे जान बूझकर भीमराव अम्बेडकर के फोटो को खुद ही फड़वा रही हैं. वो लोक सेवक हैं. लोकसेवक होने के नाते वो किसी पॉलीटिकल पार्टी के साथ कैसे खड़ी हो सकती हैं.