Mahakal Protocol News: महाकालेश्वर मंदिर में 1500 की रसीद कटवाने के बावजूद श्रद्धालुओं को प्रोटोकॉल व्यवस्था के चलते घंटो तक भगवान की पूजा अर्चना करने के लिए इंतजार करना पड़ता है. दरअसल यह पूरी अव्यवस्था रसूखदार लोगों के लिए बनाए गए प्रोटोकॉल नियम की वजह से सामने आ रही है. अब प्रोटोकॉल व्यवस्था को लेकर पंडित और पुरोहित भी विरोध में उतर रहे हैं.  


वैसे तो महाकालेश्वर मंदिर में पहले कभी पैसा देकर गर्भगृह में प्रवेश का नियम नहीं रहा है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से महाकालेश्वर मंदिर समिति ने गर्भगृह में भगवान का जलाभिषेक करने के लिए 1500 की रसीद का प्रावधान किया है. जिसके तहत 2 श्रद्धालु गर्भ गृह में जाकर भगवान को जल चढ़ा सकते हैं. इस नियम के तहत सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाता रहा है. 


अब मंदिर समिति श्रद्धालुओं की संख्या के अनुसार प्रतिदिन सभी व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेती है. महाकालेश्वर मंदिर आने वाले आम श्रद्धालुओं को शीघ्र दर्शन के लिए 250 और जल अभिषेक के लिए 1500 रुपए देना होते हैं लेकिन प्रोटोकॉल व्यवस्था के चलते कई वीआईपी बिना किसी राशि खर्च किए ही अगली पंक्ति में पहुंच जाते हैं.


इस नियम व्यवस्था का महाकालेश्वर मंदिर के पंडित और पुरोहित भी विरोध कर रहे हैं. महाकालेश्वर मंदिर के पंडित शैलेंद्र गुरु ने बताया कि प्रोटोकॉल व्यवस्था के कारण कई बार अव्यवस्था फैल रही है, जिसकी वजह से राशि देकर भी श्रद्धालु सुविधा का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि कई बार इस बात की शिकायत महाकाल मंदिर समिति से की जा चुकी है, मगर नतीजा सिफर रहा है. 


क्या सुविधा मिलती है प्रोटोकॉल में?
महाकालेश्वर मंदिर में वीआईपी दर्शन पद्धति को लेकर लंबे समय से विरोध होता आया है. उत्तर के विधायक पारस जैन ने भी इस बात को लेकर स्वीकृति दी है कि महाकालेश्वर मंदिर में आम और खास का भेद खत्म होना चाहिए, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. महाकालेश्वर मंदिर में समिति के पास प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में प्रोटोकॉल दर्शन और पूजा अर्चना के साथ-साथ भस्म आरती के आवेदन पहुंचते हैं.  भस्म आरती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को 200 की रसीद कटाना होती है जबकि प्रोटोकाल के माध्यम से दर्शन और पूजा अर्चना में कोई खर्च नहीं आता है.


किसे मिलता है प्रोटोकॉल?
महाकालेश्वर मंदिर में प्रथम श्रेणी विशेष अधिकारियों के साथ-साथ राजनेताओं को प्रोटोकाल मिलता है. इसके अलावा राजनेताओं की सिफारिश से भी कई लोगों को प्रोटोकाल मिल जाता है. हालांकि इसे लेकर कोई क्राइटेरिया अभी तक नहीं बना है मगर प्रभावशाली लोग प्रोटोकाल व्यवस्था का खूब लाभ उठा रहे हैं. प्रोटोकॉल के जरिए श्रद्धालु रसूखदार लोग शॉर्टकट से गर्भगृह में प्रवेश कर जाते हैं जबकि राशि खर्च कर कतार बद्ध होने वाले श्रद्धालुओं को घंटों इंतजार करना पड़ता है. 


श्रद्धालुओं को भी अव्यवस्था से ऐतराज
पुणे से आए श्रद्धालु पीएस सिंह ने बताया कि वह तीन घंटे तक कतारबद्ध होकर खड़े रहे, जबकि उनके सामने प्रोटोकॉल जाने वाले श्रद्धालुओं ने तुरंत भगवान का जलाभिषेक कर लिया. इसी तरह अहमदाबाद से आई सृष्टि तोमर ने भी अव्यवस्था को लेकर आवाज बुलंद की. उन्होंने कहा कि नियम सबके लिए बराबर होना चाहिए. अगर प्रोटोकॉल व्यवस्था से ही दर्शन कराना है तो सभी श्रद्धालुओं की कतार एक होना चाहिए, भले ही प्रोटोकाल जाने वाले श्रद्धालुओं से राशि न ली जाए. 


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