MP News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की तीन सरकारी बिजली कंपनियों (public power companies) के द्वारा बिजली (Lightning) के दाम बढ़ाने प्रस्तुत टैरिफ याचिका का विभिन्न संगठनों ने विरोध (Oppose) जताया है. टैरिफ याचिका पर मंगलवार से सुनवाई शुरू हो गई है. मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) वर्चुअल तरीके से सभी आपत्तिकर्ताओं की आपत्तियों को सुन रहा है. पहले दिन 16 आपत्तिकर्ताओं ने अपनी बात रखी.


जबलपुर के क्षेत्र से हो रही शुरुआत
सुनवाई की शुरुआत पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी,  जबलपुर के क्षेत्र वाले जिलों से की गई है. जबलपुर में महाकौशल चेंबर ऑफ कॉमर्स,जबलपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स महाकौशल उद्योग संघ,नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच,लघु व्यापारी संघ समेत कई सामाजिक संगठनों और बिजली के जानकारों द्वारा टैरिफ याचिका पर आपत्तियां दायर की गई है. इन आपत्तियों में प्रस्तावित बिजली बढ़ोतरी दर का विरोध तो किया ही गया है साथ ही बिजली कंपनियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए हैं.


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खरीदी जा रही है महंगी बिजली
महाकोशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रवि गुप्ता का कहना है कि मध्य प्रदेश में उद्योग जगत गुजरात और छत्तीसगढ़ की तुलना में 35 फीसदी महंगी बिजली खरीद रहा है. प्रस्तावित याचिकाओं में विद्युत कंपनियों के द्वारा 39 सौ करोड़ रुपए का जो घाटा दर्शाया गया है, उसके लिए जिम्मेदार खुद विद्युत कंपनियां ही है. लघु व्यापारी संघ के अध्यक्ष अखिल मिश्रा ने सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश में लघु और मध्यम उद्योगों एवं दुकानदारों के लिए 50 यूनिट से 100 यूनिट तक रियायत देने की मांग की. इसके साथ ही घरेलू उपभोक्ताओं पर लगने वाले फिक्स चार्ज को भी कम करने की मांग की गई है. जबलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर उपाध्यक्ष हिमांशु खरे से कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में लगातार बिजली ट्रैपिंग की वजह से औद्योगिक इकाइयों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है, क्योंकि विद्युत ट्रैपिंग की वजह से मशीनें खराब हो जाती है. साथ ही उत्पादन भी प्रभावित होता है. बिजली कंपनियों की लापरवाही की वजह से विद्युत ट्रिपिंग होती है. कुल मिलाकर कहा जाए तो सभी आपत्तिकर्ताओं ने प्रस्तावित बिजली दर बढ़ोतरी का विरोध किया है और विद्युत नियामक आयोग से मांग की है कि बिजली कंपनियां मध्य प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं पर और अधिक भार ना डालें.


नुकसान का किया जा रहा भरपाई
गौरतलब है कि बिजली कंपनी ने साल 2020-21 में हुए नुकसान की भरपाई के लिए मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के पास 4981 करोड़ रुपये की राशि वसूलने के लिए याचिका दायर की है. बिजली सम्बंधी मामलों के जानकार एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल ने इस पर आपत्ति लगाते हुए कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं. अग्रवाल ने आपत्ति में कहा है कि प्रदेश में सरप्लस बिजली के बावजूद सालाना 3324 करोड़ रुपये ऐसे पावर प्लांटों को दिए जाते हैं,जिनसे बिजली ली ही नहीं जाती है. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी की तरफ से कई ऐसे पॉवर परचेस एग्रीमेंट हुए हैं, जिस वजह से बिना बिजली लिए ही उन्हें फिक्स राशि भुगतान करने का प्रावधान है.


कितने बढ़ेंगे दाम
राज्य की तीनों सरकारी बिजली कंपनियों की टैरिफ याचिका में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 9.97% की वृद्धि और कृषि क्षेत्र के लिए 10.6% बिजली दाम में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया है. इसके साथ साथ विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए भी अलग-अलग दरों से बिजली के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है.


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