Bhopal News: पीने योग्य नहीं भोपाल के बड़े तालाब का पानी, एप्को की रिपोर्ट में किया गया दावा
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बड़े तालाब का पानी पीने योग्य नहीं है. यह दावा पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन एप्को की रिपोर्ट में हुआ है. एप्को ने इस पानी को सी कैटेगरी में रखा है.
MP News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बड़े तालाब का पानी पीने योग्य नहीं है. पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन एप्को की रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल के बड़े तालाब का पानी सी श्रेणी में है. इस पानी का साफ सफाई करने और संक्रमण रहित करने के बाद ही पीने योग्य बनाया जा सकता है. दरअसल, पुराने भोपाल सहित बैरागढ़ की लगभग दो लाख से अधिक की आबादी को बड़े तालाब का पानी सप्लाई किया जाता है.
दो विभागों की रिपोर्ट में विरोधाभास
दरअसल, भोपाल के बड़े तालाब के पानी को लेकर मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन यानी एप्को की रिपोर्ट में विरोधाभास है. जहां मध्य प्रदेश प्रदूषण बोर्ड इस पानी को संतोषजनक बता रहा है, तो वहीं पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन एप्को इस पानी को सी कैटेगरी में रख रहा है. एप्को दिसंबर 2021 से तालाबों की सैंपलिंग और जांच कर रहा है. एप्को ने बड़ा तालाब में 18 सैंपलिंग स्टेशन बनाए हैं, यहां से सरफेस और गहराई वाले दोनों तरह के सैंपल से पानी की जांच होती है, जबकि एमपीपीसीबी केवल चार स्थानों से ही सैंपलिंग करता है, इसलिए एप्को की जांच रिपोर्ट ज्यादा भरोसेमंद है.
नाले-सीवेज का पानी कारण
इस मामले में पर्यावरण विदों के अनुसार डिजॉल्ण्ड ऑक्सीजन पानी में जितनी अधिक होती है वह उतना ही अच्छा होता है. कम है तो पानी दूषित है. बीओपी भी तभी बढ़ता है जब नालों, सीवेज आदि का पानी तालाब में मिलता है. बीओडी जितना अधिक होगा पानी उतना ही प्रदूषित होगा. नगर निगम को पेयजल के स्रोतों में गंदगी मिलने से रोकना चाहिए.
सैंपलिंग की स्थिति
पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन एप्को के स्टेशनों पर पानी के सैंपलिंग जांच में बोओडी की स्थिति कुछ इस प्रकार है. कोलांस में बीओडी स्तर आठ, भौंरी 5.6, बेहटा 6.8, बैरागढ़ 5.6, करबला 5.2, मेडिकल कॉलेज 10, कमला पार्क 10, भदभदा 10, वन विहार 4.8, याच क्लब 08 प्रतिशत पाया गया है.